Page 22 - karmyogi
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िसर्नत की िर्स्त िुिौनतयों
को चगरधारी ि स्वीकार ककया,
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पवद्यालय क िव निर्ामण ि ,
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उिक प्रनत
िि - िि का हृदय- पवस्तार ककया,
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चगरधारी क अथक प्रयािों ि,
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आलोिकों क पवरोधी स्वर
का भी प्रनतकार ककया।
पारखी ििरों ि किां
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ओझल िए
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िफलता क िोपाि कभी?
िसर्नत ि तलाि सलया
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उि िौिरी को,
िो तरािेगा,
ििाति धर्म बासलका पवद्यालय
की डगर्गाई व्यवस्था को भी।