Page 21 - karmyogi
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वि सिक्षापवद् किां अिसभज्ञ था,

                                                          े
                                       सिक्षण उद्दश्यों को
                         प्रनतपल िी रिा वि ज्ञािवद्ध था।
                                                                      ृ
                       पवकाि र्ें पल रिा उिका पवश्वाि था,

                                                े
                                     छािों क व्यजततत्व को
                               ज्ञाि - तुसलका ि रगि िला,
                                                           े
                                                                    े
                                                               ं
                                    बि आयार्ी पाठ्यक्रर् क
                                                                            े
                                         ु
                                          िव निर्ामण ि,
                                                                  े
                                                छािों र्ें

                                                 ं
                                                              े
                                         िव रग भरि लगा।





                                                                                                                          ं
                                                                                                 आरम्भ िई              अतर पवद्यालय - प्रनतयोचगता
                                                                                                                ु
                                                                                                                 उत्िाि भरि लगी अब
                                                                                                                                    े
                                                                                                          पवद्यालय - िसर्नत की व्यवस्था,

                                                                                                        ििाँ र्ूल्यवाि यि बहिरग क्रीडा थी,
                                                                                                                                              ं
                                                                                                              विीं पवद्यालय का स्तंभ बिी

                                                                                                                      र्ूल्यों की सिक्षा थी,

                                                                                                                   तनिक पथक ििीं जििि                      े
                                                                                                                                 ृ
                                                                                                       अिुिासित प्रणाली और िर्यबद्धता थी ,
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