Page 37 - karmyogi
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"बधी रिी स्र्नतयाँ"
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छट रिा था पिावर िब,
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फट पडा था चगरधारी क
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िज्बातों का िैलाब तब,
उिकी ििरों र्ें
ििीं था र्ाि वि एक स्थाि ,
उिक िर िरे - िरे ि सर्ली थी
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उिक िीवि को एक िई पििाि।
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यि रुतब का असभर्ाि ििीं था,
उि चगरधारी को तो
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िुख ऐश्वयम का भी भाि ििी था,
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पिावर तो चगरधारी क
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ह्रदय स्थल की वि भूसर् थी
ििाँ अपवरल बिती
उिक भावों की िदी थी,
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