Page 179 - Sanidhya 2025
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�लप्रपुंते हीरी-भरी हीरिरयंली, घानां �गाँलो� और मानांमाोहीकां पुहींड़ो� स े
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बढ़ाापीारा झौील : बढ़ंपुंरं झाील कांं मानांमाोहीकां पुंनांी, शंजिते और जिघारं ही। प्रकांजिते कां मानांोरमा दृश्यो� कांं आनांदे लनां कां जिलए यही
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सकांनां कांं एहीसंस जिदेलंतें ही। इस झाील कां पुंस बठौकांर खंबसरते �लप्रपुंते एकां आदेश �ंनां ही।
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प्रकांजिते और झाील कां बहीते पुंनांी कांो जिनांहींर सकांते ही।
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कवंल्या �ाम : कांवेल्या धींमा एकां �नां माजिदेर ही। यही माजिदेर स�दे
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सगाँमारमार स बनांं ही और इस श्रीी आजिदेनांंथा �नां श्वतेंबर तेीथा कां नांंमा
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स �ंनांं �ंतें ही। इस माजिदेर पुरिरसर मा लगाँभगाँ 26 माजिदेर ही। इस
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दिवंवंका�दों सीरंवंर : यही सरोवेर शहीर कां ठौीकां बीचीो�-बीची स्थि�ते ही।
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जिवेवेकांंनांदे सरोवेर कांो बढ़ं तेंलंब भी कांहीं �ंतें ही। इस झाील कांं
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नांंमा माहींनां स्वंमाी जिवेवेकांंनांदे कां नांंमा पुर पुड़ं ही �ो एकां प्रजिस� माजिदेर मा 24 तेीथाकांरो� कांी माजितेयं ही। य माजिदेर और माजितेयं जिमालकांर
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देंशजिनांकां था। इस सरोवेर कां पुंस स्वंमाी जिवेवेकांंनांदे �ी कांं 37 �ीटे एकां जिवेशंल माजिदेर पुरिरसर कांं जिनांमांणी कांरतेी ही। ं
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ऊचीी माजिते भी �ंजिपुते ही। इस झाील मा जिबतेंयं गाँयं समाय मानांोरजि�ते
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कांरतें ही क्योो�नेजिकां आसपुंस कांं वेंतेंवेरणी शंजिते और सकांनां पुंनां कां �दोंवं� उद्याा� : यही उद्योंनां खंंरूनां नांदेी कां तेटे पुर स्थि�ते ही। इस
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जिलए एकां आदेश �ंनां ही। ै उद्योंनां मा एकां छेोटें जिचीजिड़यंघार भी ही जि�समा बंघा, तेदेआ, शर और
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जिहीरणी �स कांई �ंनांवेर ही। यही �गाँही प्रकांजिते और वेन्य�ीवे प्रजिमायो� कां
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जिलए एकां आदेश �ंनां ही। उद्योंनां कां चींरो� ओर स्थिखंल हुए वेनांस्पजिते
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और �ीवे-�ते इस एकां सदेर दृश्य बनांंते ही। ं
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इसकां अजितेरिरक्त छेत्तीसगाँढ़ कां रंयपुर मा घाटेंरंनांी झारनां, पुरखंौतेी
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माक्तंगाँनां, गाँंधीी उद्योंनां पुंकां, अतेरंष्ट् र ीय जिक्रकांटे स्टेजिडयमा, रं�ीवे
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लोचीनां माजिदेर, शदेंणीी देरबंर, कांकांंली माजिदेर इत्युंजिदे ही संथा-हीी
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आस-पुंस अन्य �गाँही �स जिसरपुर, कांंन्हें रंष्ट् र ीय उद्योंनां इत्युंजिदे भी
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ही। इनांमा स ज्यंदेंतेंर �गाँही प्रमाखं पुयटेकां आकांर्षणी कांं भी कांद्री ही।
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संथा-हीी �ो लोगाँ खंरीदेंरी कां शौकांीनां ही उनांकां जिलए रंयपुर एकां
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बहीतेरीनां �गाँही ही क्योो�नेजिकां रंयपुर अपुनां “टेरंकांोटें” कां जिलए भी
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माशहूंर ही। त्युोहींरो� यं जिकांसी आयो�नां कां देौरंनां वेहीं कांं जिहीस्सां बनां
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हीाजरा जलप्रपीात : हीं�रं �लप्रपुंते डो�गाँरगाँढ़ मा स्थि�ते एकां कांर शहीर कांी सस्कजिते स रू-ब-रू हीोनां कांं भी माझा माौकांं जिमालं
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खंबसरते �लप्रपुंते ही, जि�सकांी ऊचींई लगाँभगाँ 46 माीटेर ही। यही �ोजिकां भजिवेष्य कां जिलए यंदेगाँंर रहीगाँं।
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