Page 175 - Sanidhya 2025
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निसरंपुुरं-यात्राा संस्मारंणा


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            ग्रुपु कांन्द् कां.रिर.पु.बल रंयपुर मा जिनांवेंसरते अजिधीकांंरी, अधीीनां�
             ु
            अजिधीकांंरी, �वेंनांो� और उनांकां पुरिरवेंरो� कां जिलय जिदेनांंकां 05 �नांवेरी
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            2025 कांो एकां ऊ�ं स भरपुर एवे आनांन्ददेंयकां जिपुकांजिनांकां कांं   श्रीीमती प्रदितमा दिसीही
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                                                                              पीत्नीी श्रीीअजीया किसींह
                                                                               ु
            आयो�नां जिकांयं गाँयं थां। सभी पुरिरवेंर लगाँभगाँ 320 कांी सख्यं मा  ं  ग्रपी कन्द्, रायापीुर
                                                                                  े
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            आठौ बसो मा प्रत्युकां बस मा लगाँभगाँ 40 लोगाँ सवेंर हीोकांर हीमांर  े
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            जिपुकांजिनांकां �ल कां जिलए सबही कांरीब 10 ब� रवेंनांं हीो गाँय था और
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            01 घाटे कांी यंत्रं कां पु�ंते हीमा हीमांर जिपुकांजिनांकां �ल जिसरपुर गाँॉवे, �ो   जिशवेगाँप्त बंलं�नां द्वांरं अपुनां रंज्य मा जिहीदेओ बौ�ो और �जिनांयो� कां
                                                                                             ै
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            जिकां माहींनांदेी कां जिकांनांंर स्थि�ते ही, पुहुची गाँय। वेहीॉ पुहुचीनां कां पु�ंते पुर  े  जिलए माजिदेर और माठौ बनांवेंनां कांं उल्लीखं जिमालतें ही। चीीनांी तेीथायंत्री
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            समाही कांो अलगाँ-अलगाँ प्रबधीनां मा लगाँं जिदेयं गाँयं। एकां बठौनां कांं   ह्वेनांसंगाँ नां अपुनां यंत्रं सस्मारणीो� मा 639 ईसवेी� मा जिसरपुर कांी यंत्रं
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            प्रबधी कांरनां लगाँं, देसरं समाही खंंनां कांी व्यवे�ं मा लगाँ गाँयं, तेीसरं   कांं उल्लीखं जिकांयं ही, जिकां श्रीं�ं क्षेजित्रय था और बौ�ो कां प्रजिते उदेंर था  े
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            मानांोर�नां कां जिलए व्यवे�ं कांरनां लगाँं। सभी कां पुहुचीनां कां पु�ंते  ्  और क्षेत्र समाध्दे थाश। उनांकां सस्मारणीो कां अनांसंर लगाँभगाँ 10 ही�ंर
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            पुरंतेंस्थित्वकां �ल जिसरपुर कांं भ्रमाणी कांरनांं तेय जिकांयं गाँयं थां, क्योोजिकां   माहींयंनां बौध्दे, जिभक्षे लगाँभगाँ 100 माठौो� मा� रहीते था और 100 स  े
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            सख्यं मा हीमालोगाँ ज्यंदें था तेो एकां संथा सभी �ंनांो� कांं भ्रमाणी नांहीी�   अजिधीकां माजिदेर था। े
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            कांर सकांते था इस जिलए पुर समाही कांो 04 भंगाँो मा बंटे कांर भ्रमाणी
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                                                                                       े
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            जिकांयं गाँयं और तेय जिकांयं गाँयं जिकां सभी लोगाँ लची कां जिलय देोपुहीर 02   पीरास्थित्वक स्थाल:- सनां 1882 मा औपुजिनांवेजिशकां जि�जिटेश भंरते कां एकां
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            ब� वेंपुस आ �ंएगाँ। जि�र हीमा सभी अपुनां ग्रुपु कां संथा जिसरपुर   अजिधीकांंरी अलक्जेडर कांजिनांघामा द्वांरं जिसरपुर कांं देौरं कांरनां कां बंदे
                                        े
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            भ्रमाणी कां जिलए जिनांकांल गाँय� -              स जिसरपुर एकां प्रमाखं पुरंतेंस्थित्वकां �ल बनां गाँयं। जिसरपुर मा लक्ष्णी
                                                                             े
                                                                                े
                                                            माजिदेर पुर उनांकांी रिरपुोटे नां इस आतेरंष्ट्ीªय पुटेल पुर लंयं। 1950 कां
                                                                                  �
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            पुरिरचीय� - जिसरपुर स्मांरकां समाही माहींनांदेी कां जिकांनांंर पुंचीवेी स बंरहीवेी�   बंदे जिवेशर्ष रुपु स 2003 कां पु�ंते उत्खनांनां मा 10 बौ� जिवेहींर, 3 �नां
                                                                                     ू
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            शतेंब्दोी कां जिहीन्दूदे, �नां और बौ� स्मांरकांो� वेंलं एकां प्रमाखं   जिवेहींर, ब� और माहींवेीर कांी अखंड माजितेयं, 22 जिशवे माजिदेर और 5
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            पुरंतेंस्थित्वकां और पुयटेनां �ल ही। जिसरपुर कांो प्रंचीीनां कांंल मा श्रीीपुर   जिवेष्णु माजिदेर और छेठौी/संतेवेी� शतेंब्दोी कांं एकां बं�ंर और एकां
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            जि�सकांं शंस्थिब्दोकां अथा श्शुभतें, प्रचीरतें, लक्ष्ी कांं शहीरश कां नांंमा स  े  स्नांनांगाँंर जिमालं ही। जिसरपुर प्रंरस्थिम्भकां माध्याकांंलीनां कांंस्यो माजितेयो� कां
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            �ंनांं �ंतें थां। जिसरपुर प्रंचीीनां मा देजिक्षेणी कांोशल रंज्य कां शरभपुरीुय   जिलय भी एकां प्रमाखं पुरंतेंस्थित्वकां �ल ही। यहीं कांंस्योमाजितेयो� कांं एकां
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            और सोमावेशी रं�ंओ� कांी रं�धींनांी हुआ कांरतें थां।  सग्रुही प्रंप्त हुआ जि�समा बौध्दे धीमा स सम्बस्थिन्धते देलभ माजितेयो� मा  ं
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                                                                                       ं
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                                                            अवेलोजिकांतेश्वर, ब�, पुदेम्पंजिणी इत्युंजिदे ही। इनां जिनांष्कर्षो स मांनांं �ं
                                                                       ु
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            पीहीच माग:- जिसरपुर छेत्तीसगाँढ़ रंज्य कां माहींसमादे जि�ल मा माहींसमादे   सकांतें ही जिकां माहींयंनां और बज्रयंनां रुपु मा बौ� धीमा कांं प्रसंर इस
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                                  े
            शहीर स 35 जिकांलोमाीटेर, रंयपुर स 85 जिकांलोमाीटेर और गाँ ् ुरपु कांन्द्   क्षेत्र मा �ल-�ल रही था।
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                                                     �
            रंयपुर स 52 जिकांलोमाीटेर देर माहींनांदेी कां तेटे पुर स्थि�ते एकां गाँंवे ही। ै
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                                                                                                     �
                                                                                                  व
                                                                                     े
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                                                            स्माारक- जिसरपुर मा जिवेजिभन्न रं�वेश कां शंसकांो �ंरं जिनांजिमाते माजिदेरो�,
                                                                         ं
                                                                                  �
                                                                                ं
                                                            माहीलो, जिवेहींरो�, आंजिदे �स धीजिमाकां और धीमाजिनांरपुक्षे सरचीनांंओ� कां
                                                                                                      े
                                                                                        व
                                                                                               �
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                                                            रूपु मा� प्रंप्त पुरंतेंस्थित्वकां अवेशर्षं कांी सरचीनांंओ कांो तेीनां श्रीजिणीयो�
                                                                                  े
                                                                �
                                                                                   े
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                                                                  ृ
                                                                             ै
                                                            मा वेगाँी्रकांते जिकांयं �तें ही।
                                                             1.  दिहीन्दूदों ू  सीरच�ाएॅ,
                                                                           ु
                                                                     ं
                                                             2.  बौद्ध सीरच�ाएॅ, ु
                                                                      े
                                                             3.  �मदि�रपीक्षा सीरच�ाएॅ,
                                                                  ष
                                                                               ु
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                                                            जि�नांमा जिनांम्नजिलस्थिखंते प्रमाखं ही ै �
                                                    े
                                  े
            इदितहीासी:- चीौथाी शतेंब्दोी ईसवेी कां इलंहींबंदे स्तम्भ जिशलंलखं मा  ं  लक्ष्ण मदिदोंर-
                                                                   ं
            जिसरपुर कांं सवेप्रथामा उल्लीखं श्रीीपुरं कां रुपु मा जिकांयं गाँयं ही। देजिक्षेणी
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            कांोशल क्षेत्र कां बहुते स जिशलंलखंो� मा रं�ं तेीवेरदेवे और रं�ं   जिसरपुर कांं सबस पुरंनांं स्मांरकां लक्ष्णी माजिदेर ही, भगाँवेंनां जिवेष्णु कांो
                                                                         ु
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