Page 176 - Sanidhya 2025
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समाजिपुते पुवेंजिभमाखं ईटेो� कांं माजिदेर माहींजिशवेगाँप्त बंलं�नां कांी मांतें जिदेवेंरो� स जिघार ही। ै
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रंनांी वेंसटें द्वांरं अपुनां पुजिते हीर्षगाँप्त कांी स्माजिते मा बनांवेंयं �ो गाँप्त
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शली कांं जिवेकांजिसते स्वरूपु ही। माजिदेर कांं जिनांमांणी एकां उची अजिधीष्ठांनां बालश्वार महीादोंवं मदिदोंर- यहीं एकां जिवेशंल उत्खजिनांते पुरिरसर ही ै
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पुर एकां गाँभगाँही, अतेरंल और माखंमाडपु यक्त यो�नांंब� तेरीकां स े जि�समा एकां पुचींयतेनां सरचीनांंत्माकां अवेशर्ष प्रंप्त हुए ही जि�सकां
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जिकांयं गाँयं ही। इसकां जिशखंर कां संथा संथा गाँभगाँही भी सरजिक्षेते ही। पुजि�मा कांी ओर देो माजिदेर ही �ो ऊची अजिधीष्ठांनां पुर स्थि�ते ही। देोनांो
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संक्ष्ो� स पुतें चीलतें ही जिकां माडपु देो पुंश्व-देीवेंरो� स जिघारं हुआ थां माजिदेर अगाँल बगाँल स्थि�ते ही और य अजिधीकां�ंश जिसरपुर माजिदेरो� कां
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और प्रत्युकां पुस्थिक्त मा स्तभो कांी देो पुस्थिक्तयं थाी और बगाँल कांी देीवेंरो� जिवेपुरीते पुजि�मा कांी ओर खंलते ही। देोनांो मा एकां माडपु और ईटे-पुत्थर
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पुर समांनां स्तभ था। यही माजिदेर नांंगाँर शली कांं ही। प्रवेश �ंर स बनांं एकां तेंर कां आकांंर कांं गाँभगाँही ही। ै
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अत्युजिधीकां अलक्रते ही जि�समा पुत्र शंखंं, रत्नी शंखंं, जिमाथानां शंखंं, पुनां� सीरग टीला - जिसरपुर मा सबस जिवेशंल और आकांर्षकां सरगाँ टेीलं ही ै
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पुत्र शंखंं और जिवेष्णु कां जिवेजिभन्न अवेतेंरो� �स - मात्स्, वेरंही, नांरजिसही, �ो जिकां गाँॉवे कां बीची मा स्थि�ते ही। यही जिवेजिभन्न सरचीनांंत्माकां अवेशर्षो� स े
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वेंमानां, रंमा, ब�, कांलकांी अवेतेंरो� कांं अकांनां ही। ललंटेजिबम्ब पुर बनांं एकां जिवेशंल पुरिरसर ही। उत्खनांनां कां पुरिरणींमा स्वरूपु पुजि�मा
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अनांन्तशयी भगाँवेंनां जिवेष्णु कांं अकांनां ही । इस माजिदेर कांं जिनांमांणी 7 वेी� पुचींयतेनां माजिदेर और ऊची अजिधीष्ठांनां कां उपुर एकां माखंी माडपु भी ही।
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शतेंब्दोी मा जिकांयं गाँयं। माख्य माजिदेर भगाँवेंनां जिशवे कांो समाजिपुते ही।
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राम मदिदोंर- यही माजिदेर पुवेंजिभमाखं प्रस्तर खंण्डेो स जिनांजिमाते अजिधीष्ठांनां तीवंरदोंवं दिवंहीार- यही बंलश्वर माहींदेवे माजिदेर कां ठौीकां संमानां स्थि�ते
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पुर स्थि�ते ही जि�सकांी यो�नांं तेंरंकांंर ही। पुरते अभी माजिदेर कांं जिभत्ती ही। उत्खजिनांते बौ� तेीवेरदेवे जिवेहींर जिसरपुर कां पुयटेनां �लो� मा एकां
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भंगाँ हीी बचीं ही। ै ही। यही माजिदेर एकां समान्वयंत्माकां माजिदेर ही, जि�सकांं जिनांमांणी एकां शवे
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ग�श्वार मदिदोंर- गाँधीश्वर माजिदेर माहींनांदेी कां तेटे पुर स्थि�ते एकां सजिक्रय रं�ं और उनांकांी बौ� रंनांी नां कांरवेंयं थां। यही जिहीदे � और बौ�
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जिशवे माजिदेर ही। नांदेी स गाँभगाँही तेकां �ंनां कां जिलए पुत्थर कांी सीजिढ़यं � जिवेर्षयं� कांो देशंतें ही। यही स्मांरकां बौ� और जिहीदे कांलंओ� कांं एकां
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ही। माजिदेर कांो जिनांयजिमाते रूपु स धीोयं और रगाँं �ंतें ही। समान्वयंत्माकां सग्रुही ही, क्योो�नेजिकां इसमा ब� कांी माजितेयो� और
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बौ�कांलंकांजितेयो� कां संथा-संथा गाँगाँं और यमानांं देजिवेयो�, कांंमा और
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एसी.आर.पीी.-17- यही ऊची � प्रस्तर जिनांजिमाते �गाँतेी पुर खंडं� ही, जिमाथानां दृश्यो�, पुचीतेत्र कांी कांथांओ� और गाँ�लक्ष्ी �स जिहीदे जिवेर्षयो� कांो
जि�सकां गाँभगाँही मा � जिशवेजिलगाँ �ंजिपुते ही। माजिदेर मा आदेमा कांदे कांी भी देशंयं गाँयं ही। ै
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माजितेयं अजिधीकां ही �ो �ीणी-शीणी अवे�ं मा ही। माजिदेर पुरिरसर सरक्षें
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