Page 213 - Sanidhya 2025
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पावाात्तर भारत �ी माकिहलााओंं �ी
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अनोोखीी पाारपारिर� प्रथाए
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पीवंात्तर भाारत, दिजसी अक्सर “सीात बही�ंं” क रूपी म जा�ा जाता ही, एक सीास्कृदितक रूपी सी सीमद्ध क्षात्रो ही दिजसीम ं
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असीम, अरूणाचल प्रदोंश, मदिणपीर, मघाालय, दिमजंरम, �ागालडी और दित्रोपीरा ( हीाल क सीमय म दिसीस्थि�म कं भाी इसीम ं
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शादिमल दिकया जाता ही) शादिमल ही। इसी क्षात्रो की मदिहीलाए अपी�ी अ�ंखी पीारपीरिरक प्रथाओंं क माध्येम सी दिवंरासीत कं
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सीरदिक्षात कर�, सीामादिजक पीरिरवंत� ला� और सीामदोंादियक जीवं� कं ब�ाए रख� म महीत्वपीण भादिमका दि�भााती ही।
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उ�क यंगदोंा� म ब�ाई, सीामादिजक �तत्व, शादित स्थाापी�ा और पीारपीरिरक ज्ञाा� की रक्षाा शादिमल ही।
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ब�ाई: कला, आजीदिवंका और पीहीचा� का सीगम
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सीबसीे प्रमेंुख पीरपीराओंं मेंं सीे एक ह बनोंाई, जीो कलाा की अकिभाव्यास्तिक्त होनोंे
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क सीाथा-सीाथा आजीीकिवाका का सीा�नों भाी ह। असीमें मेंं मेंकिहलााए मेंखेलाा
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चाादर और गामेंसीा बनोंनोंे क किलाए प्रकिसीद्ध ह, किजीन्हे अक्सर मेंगा और
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एरीरशमें सीे बनोंायाा जीाता ह। राभाा और बोड्ो मेंकिहलााए भाी कमेंबुंग, कोचाा
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लाफग और दाखनोंा जीैसीी किवाकिशष्ट बनोंाई शकिलायाों क किलाए जीानोंी जीाती ह।
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किमेंजीो मेंकिहलााए पीारपीरिरक रूपी सीे लामें (सीवापीद सीवावाउ ) का उपीयाोग
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करती ह। मेंकिणपीरी मेंकिहलााए फानोंेक और मेंोइरगफी बनोंती ह। याे वास्त्
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कवाला पीहनोंनोंे क किलाए नोंहीं होते, बस्तिल्क याह पीहचाानों, सीामेंाकिजीक स्तिस्थाकित
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और इकितहासी क प्रतीक भाी होते ह। ं
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पीवाात्तर भाारत की मेंकिहलााए सीामेंाकिजीक आदोलानोंों मेंं भाी अग्रणी रही ह। मेंकिणपीुर मेंं मेंेइरा पीबी (मेंशाला वााहक “) आदोलानों इसीका एक सीशक्त
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उदाहरण ह। मेंकिहलााए मेंशाला लाेकर राकित्रा जीलासी किनोंकालाती ह ताकिक शराबखोरी और नोंशाखोरी जीसीे सीामेंाकिजीक बराइयाों का किवारो� कर सीक। इसीी
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तरह, नोंागालाड् मेंं मेंकिहलााए ऐकितहाकिसीक रूपी सीे गॉवाों क बीचा और जीातीया सींघषो मेंं शांकित वााता और मेंध्यस्थाता करती रही ह। नोंागा मेंदसीि
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एसीोकिसीएशनों सीामेंाकिजीक पीरिरवातिनों, सीलाह और शांकित स्थाापीनोंा क किलाए कामें करनोंे वाालाा एक प्रमेंुख सींगठनों ह ।
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असीमें मेंं मेंकिहलाा सीकिमेंकितयाा� 20वाीं शताब्दोी की शुरूआत मेंं बनोंीं, किजीनोंका उद्देश्य मेंकिहलााओंं की किशक्षा, सीामेंाकिजीक सी�ार और सीशस्तिक्तकरण थाा।
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किमेंजीोरमें मेंं किमेंजीो हमेंेइच्छा इसीुइख्वाामें पीावाला शीषि मेंकिहलाा सींगठनों ह, जीो मेंकिहलााओंं क अकि�कार और सीशस्तिक्तकरण क किलाए कायाि करता ह ।
इसी क्षत्रा की मेंकिहलााओंं की एक और अत्यांत
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मेंहत्वपीणि भाकिमेंका पीारपीरिरक ज्ञाानों की सींरक्षक
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क रूपी मेंं दखी जीाती ह। पीीकिढ़ायाों सीे वाे
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औष�ीया जीड़ी-बकिटीयाों की पीहचाानों और
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तैयाारी, खाद्या सींरक्षण की तकनोंीक, बीजीों का
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सीुरकिक्षत भाड्ारण और उनोंक चायानों जीैसीी
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पीारपीरिरक प्रणाकिलायाों को नों कवाला जीीकिवात
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