Page 215 - Sanidhya 2025
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असम
            असम









                                                             ग
            उत्सवा, खीानो–पाानो और पायाटनो स्थला



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            भाारत का पीवाोत्तर क्षत्रा,किजीसीे आमेंतौर पीर “नोंॉथाि ई� इकिड्याा “ कहा जीाता ह, भाारत क सीबसीे पीवाी किहस्सोों को सींदकिभाित करता ह। पीवाोत्तर भाारत
                                                                                               ं
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            अपीनोंी प्राककितक सीुंदरता, किवाकिवा� सींस्कृकितयाों, सीमेंृद्ध वान्य जीीवानों और शांत वााकिदयाों क किलाए प्रकिसीद्ध ह। याहां  हर –भार चााया बागानों,ऊचाे पीहाड़,सीाफ
                                                                 े
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                                                                                     े
            नोंकिदयाां और खूबसीूरत झीीला ह। याहां क लाोगों का स्वागत करनोंे का तरीका, उनोंक पीारपीरिरक त्याौहार, खानों पीानों और प्राचाीनों मेंठ भाी इसीे खासी बनोंाते
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            ह। भाारत क पीवाोत्तर क्षत्रा को “सीात बहनोंे” (seven sisters) और “एक भााई (one brother)” कहा जीाता ह। जीहां  “सीात बहनोंे” राज्य मेंं अरुणाचाला
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            प्रदश, असीमें, मेंघालाया, मेंकिणपीुर, किमेंजीोरमें, नोंागालाड् और कित्रापीरा ह। और सीाथा ही किसीस्तिक्कीमें को “भााई राज्य” कहा जीाता ह।आजी क इसी लाेख मेंं हमें
                                                        ं
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            उत्तर पीवाि भाारत क  एक खासी राज्य असीमें क बार मेंं  किवा�ार सीे जीानोंनेगे।
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            असीम क उत्सवं
                                                                                       ु
                                                                                     ं
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                         दिबहू                                                     अबबाची मला
                                                                 ृ
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            असीमें क उत्सावा मेंं सीबसीे पीहलाा नोंामें ह “किबहू”। किबहु असीमें राज्य का एक प्रकिसीद्ध ककिष उत्सावा   अबबाचाी मेंेलाा असीमें क गुवााहाटीी मेंं
                                                                              ु
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            और त्याौहार ह।किबहू एक सीाला मेंं तीनों बार मेंनोंायाा जीाता ह।याह ककिष चाक्र क किवाकिभान्न चारणों को   कामेंाख्याा मेंकिदर मेंं हर सीाला जीनों मेंं आयाोकिजीत
                                                                                    ं
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            दशािता ह और असीकिमेंयाा सींस्कृकित का एक मेंहत्वपीणि किहस्सोा ह। ै  होनोंे वाालाा एक प्रमेंुख �ाकिमेंिक उत्सावा ह, जीो
                                                                                                    ै
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                                                                            दवाी कामेंाख्याा क मेंाकिसीक �मेंि चाक्र का उत्सावा
                                                                                       े
                                                                                             ु
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                                                                                  ै
            दिबहु क ती� प्रकार:                                             मेंनोंाता ह। मेंान्यता क अनोंसीार कामेंाख्याा
                 े
                                                                            शस्तिक्तपीीठ मेंं ही मेंाता सीती का याोकिनों का भााग
                                                                                              ू
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                बंहीाग दिबहू (या रंंगाली दिबहू): याह असीकिमेंयाा नोंवा वाषि की शुरुआत का प्रतीक ह और   किगरा थाा, इसीकिलाए याहां पीर मेंकिति याा प्रकितमेंा क
               अप्रला मेंं मेंनोंायाा जीाता ह। बोहाग किबहू मेंं असीमें का पीारम्परिरक किबहू नोंत्या किकयाा जीाता ह। ै  बजीाया एक कड् मेंं याोकिनों भााग की पीजीा की
                                                                                                  ू
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                काटी दिबहू (या कंंगाली दिबहू): याह मेंध्य अक्टबर मेंं मेंनोंायाा जीाता ह और फसीलाों क   जीाती ह। अबबासीी क दौरानों मेंकिदर क कपीाटी
               किलाए प्राथािनोंा का सीमेंया होता ह।                         3-4 किदनोंों क किलाए बंद कर किदए जीाते ह और
                                                                                   े
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                माघा दिबहू (या भांगली दिबहू): याह मेंध्य जीनोंवारी मेंं मेंनोंायाा जीाता ह और फसीला क अंत   मेंान्यता ह किक दवाी रजीस्वलाा होती ह. याह मेंेलाा
                                                          ै
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               का उत्सावा ह, किजीसीमेंं सीामेंदाकियाक भाोजी का आयाोजीनों किकयाा जीाता ह और मेंैजीी जीलाायाा   शस्तिक्त पीजीा सीे जीड़ा ह, किजीसीमेंं लााखों श्रीद्धालाु
                                ु
                                                                                          ै
               जीाता ह। ै                                                   और तांकित्राक शाकिमेंला होते ह। ं
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