Page 59 - Sanidhya_2024
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काी देीवााराो परा नाक्कााशुी ,प�ाकाहित हिजीनाम राग हिबरागा मीनाा भराा गया (11) गोुरू दातीा बान्दाी छोोड़ गोुरूद्वाा�ा- ग्वााहिलयरा देुगव परा न्धिस्थात
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था। देीवााराों परा तोराण,स्तम्भ ,काल का वाक्षा,�ाथी हिस� मयरा वाानारा �स हिसखों काे छूटेवाे गुरू श्रीी �रागोहिवान्द हिसं� जीी काी स्माृहित मं हिनाहिमवत �ै। ।
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आहिदे आकाहितयों काो उकारा कारा उनाम लाल,�रा,नाील,सफेदे एवा कााल जीनाश्रीुहित अनाुसारा, एका बारा जीब जी�ा�गीरा गंभीरा रूप से बीमारा हुआ
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मीना का रागों स भराा मानाों हिवाशुाल कानावाास परा हिकासी ना हि��कााराी काा त ब
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उत्कृष्ट् काला प्रदेशुना हिकाया �ो।
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(6) सिंवाक्रम महल (मसिंद�)- मानामहिदेरा स सटेा हुआ उत्तराी हिदेशुा म ं
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न्धिस्थात �। देो महिजीला भवाना अन्य म�ल ,काण म�ल,जी�ागीरा म�ल,
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शु�ाजी�ा म�ल, जीौ�रा ताल एवा रााणा काी छूतराी अस्सेी खम्ब बावाड़ी,
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स�स्त्बाहु अथवाा सास-बहूँ महिदेरा सम� वा�माना महिदेरा एवा ं
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गगोलाताल तली काा महिदेरा|
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(7) काणी महल- इसकाा हिनामाण 15वाीं सदेी म हिकाया गया । य� एका
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हिवाशुाल �ारा महिजीला भवाना � हिजीसकाी स्थाापत्य शुली हिवाशु� भारातीय
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(8) �हागोी� महल- ग्वााहिलयरा देग परा बना भवानाों म सबस अहि�का गरूजीी काो छूोड़ना काी सला� डोी गयी परान्तु गरु �रागोहिवादे जीी काी
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हिवाशुाल �। य� एका आयताकाारा भवाना � । इसका मध्य म एका हि�दे थी हिका य�ा� काै दे हिनादेोर्ष रााजीाओंं काो भी छूोड़ा जीाये । तब गुरु
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जीी काी बात मानात हुए बादेशुा� ना एका प्रस्तावा राखा हिका हिजीतना रााजीा
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आपका देामना काो पकाड़कारा जीा सकाग उनाकाो मक्त कारा हिदेया जीायगा
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। तब गरूजीी ना एका ऐसा �ोगा बनावााया हिजीस पकाड़कारा 100 रााजीा
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भी गरूजीी का साथ मक्त �ो गय । तभी स गरूजीी काो गरुदेाता बदेी
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छूोड़ गरुद्वााराा का�ा जीाना लगा, इसकाा हिनामाण गरुद्वााराा शुली म सफ़ेदे
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सगमरामरा द्वााराा हिकाया गया � ।
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काई �मो काो एका साथ हिलए य� ग्वााहिलयरा काी
शुाना बढ़ाता हुआ ग्वााहिलयरा देग जी�ा काभी तानासना का सरा भी गजीा
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कारात थ| य आजी ग्वााहिलयरा म सरा सम्रााटे तानासना का मकाबरा का साथ
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1 हिकामी काी देराी परा तानासना का गरु सफेी सत काा मकाबराा भी न्धिस्थात
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� | एका देत काथानासारा का�ा जीाता � तानासना का मकाबरा का पास
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न्धिस्थात इमली का पड़ काी पहित्तया खाना स गला सराीला �ोता � |
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हिवाशुाल आ�ता न्धिस्थात �, हिजीसका मध्य म देो महिजीला बाबड़ी बना गयी
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�, हिजीसम वार्षा काा जील भण्डाराण कारा वार्ष भरा उपयोग हिकाया जीाता ग्वााहिलयरा देग म न्धिस्थात सबस पराातना हिलन्धिखत
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� । प्रमाण “0” शुन्य काा हिशुलालख जीो हिका 9 वाीं शुताब्दीी म हिनाहिमत
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�तभजी महिदेरा म न्धिस्थात �| ग्वााहिलयरा का हिकाल म �ी बाबरा ना अपनाी
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(9) शााह�हा महल – मग़ल बादेशुा� शुा�जी�ा द्वााराा इसकाा हिनामाण वासीयत भी हिलखी थी हिजीसमं उन्हेोंकिनाे �मवहिनारापेक्षा रा� कारा गाय काी राक्षाा
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1628- 1658 ई० म कारावााया गया था। देहिक्षाण काी या�ा का देौरााना कारानाे काे हिलए नासी�त-तुजीुकाे -बावाराी मं हिलखा आजी भी य� वासीयत
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आत जीात समय शुा�जी�ा अपनाी बगमों का साथ य�ा रुकाा कारात थ। भोपाल काी रााजीकाीय लाइब्राेराी मं सुराहिक्षात राखी �ै |
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इस म�ल स लगभग पराा पराानाा ग्वााहिलयरा शु�रा देखा जीा काता �।
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(10) मग़ल बाादशााह �हागोी� (1605-1627 ई०) ना हिसखों का गरु
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श्रीी �रागोहिवादे हिस� जीी काो य�ा 12 वार्षं तका बदेी बनााकारा राखा गया
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