Page 18 - Darshika 2020
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तुम भी बोलो
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सय्र्द रफ़ीक़ बार्ा हसैनी, स.ननदर्क (कार्शक्रम)
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कवल मैं ह बोल रहा ह ं ू
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तुम भी बोलो
यह वातावरण
यह िरती, यह आकार्
यह भलपट लने वाला अंधियारा
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यह घर लेने वाला उजाला
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यह जाने वाल रात
और यह आने वाला सवेरा
इसस पहल कक यह सब
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मुझ द वाना कहकर दोर् दने लग,
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तुम भी बोलो
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कब तक मैं ह बोलू
आखखर क ु छ तो बोलो
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कवल मैं ह बोल रहा ह
ू
तुम भी बोलो
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