Page 22 - Darshika 2020
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खामोर्ी क़ी आवाज



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               ए. राजवलू, कार्शक्रम ननष्पादक


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                                                                            ै
                                                                                                          ै
                              ै
               कब कहा जाता ह चुप रहना?  टया यह तब ह जब कोई आवाज़ नह ं ह?  टया ध्वतन क अभाव का अथष ह
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                                                                                                  ै
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               मौन?  ये प्रश्न इतने आकर्षक हैं कक हम अंत म यह जवाब दते ह कक हम यह एहसास नह ं ह कक हम
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               ध्वतन स भर हए ह या नह ं।मौन एक ऐसी चीज ह श्जस जानबूझकर सांत्वना,  र्ून्यता या र्ांतत क साथ
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                                                                  े
               जोड़ा जाता ह। मैं तब तक वह  मानता था जब तक मुझ एहसास नह ं हो जाता था कक चुप रहना ह
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               काफी ह, सह  ह?
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               जब क ु छ बताने की जऱूरत होती ह तो हम बोलते ह या हम भलखते हैं।   लककन जब आप चुतपी साि लते
                                                                                                        े
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               ह तो यह जानने की श्जज्ञासा जगाते ह कक आप वास्तव म टया महसूस करते ह या ववश्वास करते ह।
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               चुतपी इतनी सवषर्श्टतमान ह कक  कवल क ु छ नह ं करने से कोई ककतना हाभसल कर सकता ह।

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               यह इतना ववस्मयकार  ह कक कसे लोग मौन क साथ अपने ववचारों क स्वर को तनयंत्रित कर सकते हैं
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                                                                             े
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               कफर भी एक प्रभावर्ाल  अभभव्यश्टत कर रह ह। यह अधिकार की भावना ह,  श्जसक भलए कोई प्रकट करण
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               और ववडंबना की आवश्यकता नह ं ह, दुतनया कभी भी इसक बार म बात करना बंद नह ं करती ह।

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               स्पष्ट ऱूप से यह एक सामान्य िारणा ह कक मौन की भावना को र्ब्दों से बाहर होने की श्स्थतत क ऱूप
                                                   ै
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               म उत्प्रेररत कर। लककन यह वववेकपूणष दृश्ष्टकोण यह समझने म ववफल ह कक मौन र्ब्दों स पर ह। एक
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                                                                       ें
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                                 े
               सरल नोट पर, मुहावर क भलए इसका सबसे अच्छा जवाब ह।
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                                                                           े
               बहस करना एक बहत ह  कम कला ह श्जस हम सभी आजमाते ह लककन बहत कम सफल होते ह। एक
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                                े
               त्रबंदु सात्रबत होने स पहल इतना िटका और खींचना ह। लककन सवाल यह ह कक हर तक एक व्यावहाररक
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               स्वीकायषता की ओर ले जाता ह। अगर मैं हााँ कहाँ तो मैं नाटकीय हो जाऊगा।
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               अप्रासंधगकता को मौन की र्श्टत से बंद ककया जा सकता ह। यह एक कभी न खत्म होने वाले सवाल का
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               जवाब दने का एक प्रेरक तर का ह जहां दूसरा व्यश्टत रक्षाह न हो जाता ह।
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               सबस अनुभवजन्य साक्ष्य ह कक कस दुतनया क सभी महान ववचारकों ने मौन म सुदरता को लूटा जो
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                                            ै
               आज भी असीम ऱूप से बोलता ह। जब आपकी चुतपी पयाषतत होती ह तो आपकी कल्पना कोई सीमा नह ं
                                                                           ै
                                                                                    े
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               जानती। यह न कवल तक को तनयंत्रित करता ह बश्ल्क प्रभावर्ाल  समािान क साथ बाहर आने म भी
                                      ष
                           ै
               मदद करता ह।

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                             ै
               मौन वह चीज ह     एक लंबी सैर या यहां तक कक अपने स्वयं क अंतररक्ष म एक कोने म बैठ हए भी कोई
                                                                      े
                                                                                           ें
                                                                                ें
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               भी अपने आप को या खुद को परख सकता ह,  भले ह  बाहर  आस-पास अराजक ककतना र्ांत हो और
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                                                        ैं
                                             ाँ
               अधिक जीवंत हो और श्जसे हम "ऊचाई" कहते ह र्ांतत"।

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               करोभलन एभलस कहते ह,  "जब इरादा और उद्दश्य क साथ चुतपी का इस्तेमाल ककया जाता ह,  तो एक
                                                              े
               अंततम नोट"  यहद दृढ़ता पुण्य ह,  तो पुण्य मौन ह। मौन का तप हम एक आर्ावाद  मुस्कान क साथ हमार
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                                                                         ें
                                                                                                          े
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               रॉकस्टार क्षणों को धगनने की ओर ले जाता ह।
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