Page 27 - Darshika 2020
P. 27

चलना हमारा काम है


                                   े
                पी. गीता, लखाकार


                                                  गतत प्रबल पैरों म भर
                                                                  ें
                                                 कफर टयों रह दर-दर खड़ा
                                                             ं
                                                            ू
                                                                      े
                                                   जब आज मेर सामन
                                                               े
                                                     ै
                                                    ह रास्ता इतना पड़ा
                                                 जब तक मंश्जल न पा सक ू
                                                                        ं
                                                 तब तक न मुझे ववराम ह
                                                                        ै
                                                   चलना हमारा काम ह।
                                                                     ै

                                               क ु छ कह भलया, क ु छ सुन भलया
                                                 क ु छ बोझ अपना बाँट गया
                                                 अच्छा हआ, तुम भमल गई
                                                         ु
                                                  क ु छ रास्ता ह  कट गया
                                                            ें
                                                                       ं
                                                  टया राह म पररचय कह
                                                                       ू
                                                    राह  हमारा नाम ह
                                                                     ै
                                                   चलना हमारा काम ह
                                                                      ै

                                                   जीवन अपूणष भलए हए
                                                                     ु
                                                   पाता कभी खोता कभी
                                                   आर्ा तनरार्ा से तघरा
                                                    ं
                                                   हसता कभी रोता कभी
                                                  गतत-मतत न हो अवरुद्ि
                                                                        ैं
                                                 इसका ध्यान आठों याम ह
                                                                      ै
                                                   चलना हमारा काम ह


                                                                       ें
                                                  इस ववर्द ववश्व प्रहार म
                                                  ककसको नह ं बहना पड़ा
                                                  सुख-दु:ख हमार  ह  तरह

                                                  ककसको नह ं सहना पड़ा
                                                कफर व्यथष टयों कहता कफऱू
                                                                        ं
                                                  मुझ पर वविाता वाम ह
                                                                       ै

                                                           27
   22   23   24   25   26   27   28   29   30   31   32