Page 24 - Darshika 2020
P. 24
भमट गय िमष क नाते, जान हदय, बभलदान हदय
े
े
े
े
य वीर ह भगवा क तयार भगवा क सार
े
े
ैं
े
े
े
ििकता रहा पूज्य भगवा हमारा
ै
गगन म लहराता ह भगवा हमारा।
ें
े
े
ं
भमट दवता, भमट गए र्ुभ महदर
स्वयं जलाकर, अश्ग्न की आहतत बनकर
ु
ें
पुरस्कार हाथों म हधथयार लकर
े
ै
कपूतों की माता खड़ी ह आज भी
े
ाँ
ें
भर अपनी आंखों म आंसू की लडड़या
ें
मगर दासता क भयानक भंवर म
े
पराजय से जय म।
ें
आखखर क्षणों तक आर्ा जगती, इच्छा जगती
कक सब क ु छ लुटाकर, सबक ु छ हदलाने
बुलाता रहा प्राण भगवा हमारा
ें
गगन म लहराता ह भगवा हमारा।
ै
े
े
े
कभी य वीर सावरकर अकल
नह ं तब डर तो भला अब डरगे
ें
े
ववरोिों क सागर म मोद जी चर्टटान ह
ैं
े
ें
े
ें
भलया हाथ म ध्वज, कभी न झुकगा
े
कदम बढ़ रहा ह, कभी न रुकगा
ै
े
ं
े
सूरज स अिरा हटकगा और कमल फ ू लगा
े
े
ै
तनडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
ैं
े
हमार सर पर वरदहस्त करता भगवा हमारा
ें
गगन म लहराता भगवा हमारा।
----------------
24