Page 25 - Darshika 2020
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कोरोना का नर्ा रूप


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               क. रामन, लाइब्रेररर्न





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                                                  े
               आम तौर पर अब तक हमने दो प्रकार क लोगों को दखा-सुना ह। क ु छ लोगों क व्यवहार दूसरों की अपेक्षा
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                                                             े
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                                       ें
               क अनुऱूप होते ह तो उन्ह सामान्य घोवर्त करते ह और श्जनक व्यवहार दूसरों की सोच स अलग या
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                                                                                                 े
               ववधचि होते हैं उन्ह असामान्य घोवर्त कर हदया जाता ह। परतु अब इस कोववड महामार  ने एक और
                                                                 ै
                                                                      ं
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                                                                                        ै
               नया मापदड स्थावपत कर सबको 'नया नॉमषल यानी नया सामान्य वगष म बााँट हदया ह।
                                                                                        ै
                                 ें
               आइए हम ववचार करगे इस नायाब सामान्य का मतलब टया है?  उसका दायरा टया ह?  उसका हमार जीवन
                                                                                                    े
               पर टया प्रभाव पड़ा ह?  लगभग 30  साल स अधिक समय पूवष स कतयूटर का हमार तनजी जीवन और कायष
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               क्षेिों म काफी अधिक प्रयोग होता आ रहा ह। अब मोबाइल टल फोन ने इस प्रकक्रया व तकनीकी को और
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                                                       े
               तेज बना हदया ह। इन तकनीकी आववष्कारों क कारण आज हम कोरोना जैसी महामार  क प्रकोप से बचने
                                                                                            े
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               क भलए य त्रबलक ु ल अल्पावधि म ह  घरों स काम करने हतु बाध्य हो चुक ह।
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                                                                                              े
               पहले ‘घर से काम’ भारत जैस ववकासोन्मुख दर् क भलए अजीब और अनोखा था पर िीर-िीर क ु छ ह
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               समय म हम इस र्ब्द को सुनते सुनते समझने लग कक ‘वक एट होम’ का मतलब कायाषलय नह ं जाना
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               ह परन्तु घर स ह  कायाषलयीन कायष को सभालना ह। इस प्रकार स कायष करने क लाभ-हातन दोनों ह।
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               घर स काम करने पर बहत सार  सुवविाएं होती ह जैस कमषचाररयों को बहत दूर तक कायाषलय आने-जाने
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               की झझट नह ं होती ह। समय पर पहाँचने या लेट घर आने की टर्न से बचा जा सकता ह। कमषचार  दूर
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               श्स्थत अपने गााँव से ह  कायाषलय का काम संभाल सकते हैं। इससे न कवल नगरों की जमघट कम होगी
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               अवपतु अधिक आवाजाह  नह ं होने क कारण प्रदूर्ण भी कम होगा। सभी लोग अपने घरों म रहते हए
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               कायाषलय का लैपटॉप और पररवार दोनों को संभाल सकग। इससे जनसख्या का पूर दर् म समान ववस्तार
                                                                                            ें
                                                                                      े
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               सभव हो सकगा। घर म बच्चे हों या बड़ बुजुगष,  सभी को सभालते हए तनववषघ्न ऱूप स ऑकफस कायष को
                                    ें
                                                                           ु
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               भी आग बढ़ाया जा सकता ह। सामाश्जक दूर  की अतनवायषता की पालना भी इस तर क से आसानी से की
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               जा सकती ह।
                                                                               े
               दूसर  ओर पलटकर ववचार कर तो इसकी क ु छ हातनयााँ भी ह। घर का पहल जो वातावरण था वह अब पूरा
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                                                                   ैं
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               बदल गया ह। घर क सभी सदस्यों को एक लैपटॉप या मोबाइल की आवश्यकता पड़ गई ह। त्रबना वाई-
                                                          ै
               फाई कनेटर्न क काम चलाना बहत  मुश्श्कल ह।   खासकर बच्चों को स्क ू ल की भर्क्षा इसी ऑनलाइन
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               माध्यम स हदए जाने क कारण घर म इन सुवविाओ को उपलब्ि कराना मााँ बाप की बड़ी श्जम्मदार  ह।
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                                                                े
               घर का माहौल त्रबलक ु ल अजीब सा होता ह जब पररवार क सदस्य अपने-अपने मोबाइल या लैपटॉप से सट
                                                                                                          े
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               रहते हैं। घर क अंदर ह  रहते हए एक दूसर स दूर रहने जैसी श्स्थतत पैदा हो गई ह। भलहाजा घर,  घर
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               नह ं रहा आिा स्क ू ल आिा कायाषलय जैसा औपचाररक स्थल बन कर रह गया ह।
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