Page 21 - Darshika 2020
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               झेला ह अपने जमाने म,  कहत हए य वृद्ि जन (खासकर पुरुर् वगष)   ठस से मस नह ं होते । कहन
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                                                                                                    े
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               की बात नह ं कक उनको भी सभालना बच्चों स अधिक िमसाध्य रहा । य वृद्ि जन   अधिक दर तक
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               न पढ़ सकते ह,  न ह  कतयूटर या मोबाइल दख सकत ह । इनक भलए सामाश्जक दूररया िॉप ह,  अतः
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               य खुल ववचरण करना अपना हक मानत हैं ।
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                       एक ओर मजदूर वगष,   तो दूसर  ओर व्यापार  लोग,  एक तरफ क ु दर व्यापार  तो दूसर  तरफ
                                                                                    े
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               सराफा बाजार,  सबको कोरोना ने अलग -अलग तर क स प्रभाववत कर हदया । एक ओर मुतनभसपाभलट
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               क स्वास््य कमषचार  यथा डॉटटर,  नसष,  सफाई कमषचार  आहद त्याग और तपस्या क मूतष ऱूप ह और
               दूसर  ओर सरकार  कमषचार ,  जो तनष्काम सेवा प्रदान करते आ रह ह। इस प्रकार प्रत्यक वगष की
                                                                                ैं
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               जनता अलग-अलग ढग स प्रभाववत हई कक सब क मन म अतनश्श्चतता और अंिकारमय भववष्य का
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               सपना घर कर गई ।

                       ऐसी अकल्पनीय,  िासद  भर  जीवन म िीरज बंिाने वाल  बात हमार  भारतीय सस्क ृ तत और
                                                         ें
                                                                                                ं
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               पुरातन परपरा स प्रातत अमूल्य दन ह,    श्जसको आज पूर ववश्व म उदाहरण स्वऱूप अपनाया जा रहा
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                                                                   ें
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               ह ।   योग   इसका प्रमुख दृष्टात ह । आज सपूणष ववश्व म योगाभ्यास द्वारा तन और मन को स्वस्थ
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                                                                                         े
               रखने का अतत उत्तम तर का स्वीकारा गया ह । लोग स्वयं इसका अनुसरण करत आ रह ह । हमार
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                                                                                                  ैं
                                                                                               े
                                                                                                          े
               पुरानी पीढ  द्वारा अपनायी गयी अधिकाधिक र तत - ररवाज अब दुहराय जा रह ह ।
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                          लॉकडाउन क कारण अचानक घरों म अधिक समय त्रबतान वाल बुद्धिजीववयों न द घषकाल स
                                                                          े
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               सीखी गई कला का पुनराभ्यास र्ुरु कर,  अपन अिूरे सपनों को हाभसल करने का साथषक प्रयास भी
                                       ें
               ककया ।   भारतीय परपरा म प्रचभलत आयुवद,  भसद्िा,  होभमयोपतत,यूनानी आहद धचककत्सा पद्िततयों का
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               तीव्र प्रचार- प्रसार होने लगा । अब अस्पतालों पर आधित न होकर घरों म ह  दवादार,स्वास््यविषक
                                                         े
                                                                                                ें
                                                                                  े
               व पौश्ष्टक भोजन बनाने लगे । पाक कला क साथ ह  इस   लॉकडाउन क दौरान घरों म हस्तकला
                                                                                                     ें
               और कलमकार  कलाओ का खूब ववकास हआ । सगीत और नृत्य कला का प्रदर्षन ऑनलाइन म होन
                                                                                                          े
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               लगा।

                                                                                             े
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                         मंिालयों  और  ववभागों  क  बीच  होने  वाल   बैठक  वीडडयो  कॉन्रभसंग  क  जररय  होने  लगे  ।
                                                                               ें
                                                                                                          े
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               सरकार  कायों म और अधिक त्वररत गतत से काम का तनपटारा होने लगा । जनता को पहचायी जान
                                                                                                ु
                                                                    े
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               वाल   सार   सवाय  तनश्श्चत  समय  पर  पहचाई  गई  ।  दर्  को  आत्मतनभषर  बनान  और  सामान्य
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                                                                                            े
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               जनता  क दतनक जीवन म कोई कमी नह ं आने हदया गया ।

                                                                                                     ें
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                        इस तरह मेर ववचार म कोरोना महामार  न जीवन का दूसरा रुख हदखाकर सबक जीवन म एक
                                                           े
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               नया मोड़ सुतनश्श्चत ककया ह ।

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