Page 23 - Darshika 2020
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                                   े
               भगवा हमार दर् को प्र्ारा

               - वी. वेंकटसुब्रमण्र्म,कार्शक्रमननष्पादक




                                                           ें
                                             ततरगा यािा म भगवा की ज्वाला
                                                ं
                                                             े
                                         भगवा भारत माता क आर्ीवाषद की माला
                                          ें
                                  गगन म लहराता ह, भगवा हमारा, दर्वाभसयों को तयारा
                                                                    े
                                                     ै
                                             तघर घोर घन, दासता क भयंकर
                                                                    े
                                                 े
                                             गंवा बैठ सवषस्व, आपस म लड़कर
                                                    े
                                                                     ें
                                               े
                                            बुझ द प घर-घर, हआ र्ून्य अम्बर
                                                              ु
                                             तनरार्ा तनर्ा ने जो डेरा जमाया
                                              े
                                                        े
                                                                             ै
                                            य जयचंद्र क द्रोह का दुष्ट फल ह
                                                               ै
                                           जो अब तक अंिेरा ह, सबेरा न आया
                                                 े
                                                                    े
                                             तघर घोर घन, दासता क भयंकर
                                             तनरार्ा तनर्ा ने जो डेरा जमाया

                                         मगर घोर तप से पराजय को जय ककया

                                                 े
                                                          ें
                                           उर्ा क वसन म दुश्मनों क नयन म
                                                                              ें
                                                                     े
                                             चमकता रहा पूज्य भगवा हमारा
                                                    ें
                                            गगन म लहराता ह भगवा हमारा।
                                                               ै

                                       भगवा ह रानी पद्भमनी की जौहर की ज्वाला
                                               ै
                                         भगवा भमटाती अमावस्या, लुटाती उजाला

                                       नया एक इततहास रचती भर्वाजी की ज्वाला

                                          धचता एक जलने हजारों नार  खड़ी थी

                                      पुरुर् तो भमट, नाररया भी बनी हवन की आहतत
                                                  े
                                                                   ं
                                                          ं
                                                                                 ु
                                                       े
                                              जौहरों म तघर कोहरों क आंसू
                                                                     े
                                                           े
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                                                   े
                                                           ें
                                                ं
                                                                   े
                                             िुए क घनों म बभल क क्षणों म
                                              े
                                          हमार जवानों ने हदया बभलदान क्षणों में
                                     राणा सांगा, राणा प्रताप, पृ्वीराज चौहान की जान
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