Page 20 - Darshika 2020
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समर् का चक्र
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डॉ. सुब्बलक्ष्मी गणसन, हहंदी अधधकारी(प्र)
अचानक समय का चक्र बदला, सार दुतनया की काया एकदम उलट-पुलट सी हो गई। चुस्त-
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फ ु तष, दौड़-िूप वाल श्जंदगी स्तभभत होकर यों रुक गई मानों ककसी ने चलती रलगाड़ी की इमरजसी
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चेन खींच ल हो। सरकार द्वारा कई प्रकार क प्रततबि लगाय जान पर, संचार माध्यमों से पता चला
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कक मामला गंभीर ह ।
आवाजाह म रोक, मनचाह घूमन-कफरने म रोक, खर दार करन या बिु- भमिों से मेल-भमलाप
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करने की आपवत्त जैसी कठोर पाबंहदयां सबक मानभसक तनाव का कारण बना । पूर दुतनया कोववद
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नाम क महामार से यों ग्रभसत हो गईं श्जसक भलए सभी दर्ों की सरकार और उनक स्वास््य ववभाग
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को हदन-रात एक करनी पडी और इस महामार से बचने क भलए जनता को घरों म बंद रहने का
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आदर् हदया गया । खासकर, बच्चे-बूढ और रोधगयों क भलए सामाश्जक दूर ह इस महामार स बचन
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का एकमाि उपाय बताया गया ।
जरा सोधचए, लालच और होड़ की भावना ने समस्त मानव जातत को सवषनार् करन पर तुला
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हआ द ख पड़ा और दृढ़ सकश्ल्पत होकर महामार का ऱूप िारण कर भलया । हर ककसी का अपना
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हदन होता ह । अब प्रक ृ तत की बार ह, अपने आपको प्रदूर्ण स, वाष्पीकरण (ग्लोबल वाभमिंग) से,बचान
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की । मोबाइल, इटरनेट,स्काइप, फसबुक, र्टववटर, इस्टाग्राम आहद तकनीकी सुवविाओ न मनुष्य की
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श्जंदगी म प्रगतत क नाम पर जो रफ्तार लाई, इससे मानव जीवन में सकारात्मक सोच की वृद्धि तो
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हई परतु जीवन र्ल पर पड़े नकारात्मक प्रभावों से बचन क उपाय भी प्रबल हई ह ।
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स्क ू ल जाकर, पढाई क साथ-साथ हसने - खेलने वाले बच्चों को अब चारद वार म बंद पाये
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जाना बच्चों क बचपनापन पर उठाया गया सख्त कदम ह। अब बच्चे ककताबों से कम, कतयूटर व
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लैपटॉप या मोबाइल द्वारा ऑनलाइन पाठ्यक्रम म र्ाभमल होकर पाठ पढते हैं । इससे उनकी आंख
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खराब होने क साथ-साथ र्ार ररक व्यायाम भी कम होती जा रह ह । पहले से ह मोबाइल क साथ
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भलपट रहन वाल बच्चे अब स्क ू ल भर्क्षा क भलए भी उसी पर आधित ह, जो सचमुच अवाछनीय
ववर्य ह ह । सामाश्जक दूररया तनभान क भलए घरों म ररश्तदारों का आना-जाना या पास- पड़ोस से
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भमलना-झुलना सख्त मना ककया गया । ऐसी हालत म बच्चों को भसफ अपन मॉ ं -बाप या दादा-
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दाद /नाना-नानी क साथ समय गुजारना पड़ा, यह ररश्तों म घतनष्ठता लानेवाल सात्रबत हई ।
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वृद्िों की कहानी क ु छ अलग सी ह । अपन जमान की सुनहर यादों को स्मरण करक व
अटसर य कहन को भडक उठत थे कक हम यह महामार क ु छ नह कर सकती । हमन टया-टया नह ं
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