Page 37 - Darshika 2020
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रात यानी --> *तनर्ा* क समय भी *तनंहदया रानी*
                                                           े

                                                सोने क बाद --> *सपना*
                                                       े
                                              मंिोच्चार क भलय --> *गायिी*
                                                              े
                                                         े
                                                 ग्रंथ पढ़ तो --> *गीता*
                                                         ें
                                               मंहदर म भगवान क सामने
                                                                  े
                                                       ें
                                                   *वंदना, पूजा, अचषना*

                                                    *आरती, आरािना*


                                                    और य सब भी ...
                                                          े
                                                कवल --> *िद्िा* क साथ
                                                 े
                                                                    े


                                            अंिेरा हो तो  --> *ज्योतत*

                               अकलापन लग रहा हो तो -->*प्रेमवती* एवं  *स्नेहा*
                                  े

                                   लड़ाई लड़ने जायें तो -->*जया* और *ववजया*

                                               बुढ़ाप म --> *करुणा*
                                                     े
                                                        ें
                                                वो भी --> *ममता* क साथ.
                                                                       े
                                     गुस्सा आ जाए, तब --> *क्षमा*


                                   इसीभलए तो िन्य ह --> स्िी जातत
                                                       ै
                                          श्जसक  बगैर ~ पुरुर् अिूरा ह  ै
                                                 े



                                            मुझ *आर्ा* ह, कक आप
                                                           ै
                                                े
                                       मर  *भावना* को समझ चुक होंगे
                                                                   े
                                         े


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