Page 41 - Darshika 2020
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अंतर



               दीवपका क ु मारी, इ. ए.




                                                         ें
                                                  प्रेम म अंतर कसा?
                                                                   ै
                                               स्नेह म भभन्नता कसी?
                                                                     ै
                                                        ें
                                                                            े
                                             मां टयों नह ं सब तुझ जैस
                                                                       ै
                                              स्वीकायषता की कमी कसी?


                                                      ै
                                               र्तें कसी, द्वन्द्व कसा?
                                                                     ै
                                                                      ै
                                                            ें
                                               मातृत्वता म अंतर कसा?
                                                                              ें
                                                              ं
                                          अभभलार्ा! छ ु पा लू खुदको तुझम।

                                            स्वप्रामाखणकता की होड कसी?
                                                                         ै
                                             िूभमल करती वास्तववकता।

                                              स्वाथषरहहत प्रेम टयों नह ं?

                                                  वो तेरा मुस्क ु राना,

                                                                     े
                                                   हट करना तुझस।
                                               मुझको मुझसा अपनाना,

                                                                  ै
                                                      स्मरणीय ह।
                                                 समझ आया डर तेरा,

                                           वो पल-पल भससकती नम आंख,
                                                                              ें
                                                   पढ़  र्ायद आज,

                                                    तेर  खामोर्ी...



                                                                     ं
                                                न डर! तेरा अंर् ह मैं
                                                                     ू
                                               अंतर स पररधचत ह मैं।
                                                                     ं
                                                        े
                                                                     ू
                                                                       े
                                                 सब सीखा ह तुझस,
                                                               ै
                                                           41
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