Page 43 - Darshika 2020
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स्कल़ों में नैनतक र्र्क्षा
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               जी. सुरर् क ु मार, ई. ए.






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                                                                                              ै
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               ववश्व म भारत की एक ववर्र्ता और सम्मान ह। नैततक भर्क्षा इसकी एक प्रमुख वजह ह। जब दुतनया
                                                                                                         े
                                                                                   ं
               को अक्षर ज्ञान भी नह ं था यहां पर वेद,  धचककत्सा,  ववज्ञान,  गखणत आहद की ग्रथ सूची बन गई थी। घर क
                                                                                                      ै
               पड़ोसी ववद्वान अंगुभलयों पर भसतारों और ग्रहों की गतत की गणना करते थे। एक र्ब्द म कहना ह तो
                                                                                              ें
                                                                  े
               दुतनया को भर्क्षा,  धचककत्सा,  मौसम,  ऋतु और इसी तरह क सभी क्षेि म िमष-माता बनकर रास्ता हदखाया
                                                                             ें
               था।

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               आज क इस गौरवर्ाल  दर् म ववद्या म नैततकता क अभाव क कारण युवाओ म स्वाथष बढ़ गया ह। वे
                                                                      े
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               भसफ अपने भलए जीने लग ह। उनक भलए पैसा ह  सबक ु छ ह। भर्क्षकों व बुजुगों का अनादर हो रहा ह।
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                                                                     ै
               जीवन म न अनुर्ासन ह और न सयम। लालच और भ्रम म रहते हए अपने लक्ष्यों को पूरा करने म
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                                                                                                          ें
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               नाकाम होने से आत्महत्या कर रह हैं। यह यािा कहां क भलए ह?  ककस मंश्जल क भलए ह?  युवाओ क पास
                                                                      ै
                                                               े
                                                                                    े
                                                                                                   ं
                                                                                           ै
               इन सवालों का कोई जवाब नह ं ह।
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               आज इस दुदर्ा का कारण युवाओ पर पश्श्चमी प्रभाव ह। उनका वववेक खोने लगा ह। चावल,  रोट  की
                                                                 ै
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                                          ै
               जगह वपज्जा-बगषर ने ल ल  ह। ववनय व वफादार  तो कालग्रस्त हो चुकी ह। माता-वपता व भर्क्षकों क
                                    े
               आदर्ों को तो वे आजाद  की हथकड़ी कहते ह। भर्क्षाजषन का कहने पर वे कमाई की ओर रुख करते हैं।
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                                                       ैं
               यह सभी अंग्रेजी व्यवस्था का र्डयंि ह।
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                                                                        ें
               अंग्रजों ने भारतीयों को टलक और मुर्ी बनाने की चाल चल । उन्ह यह ववश्वास था कक इस भर्क्षा योजना
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                                                            ं
               से एक ऐसा भर्क्षक्षत वगष बनेगा श्जसका रटत और रग तो भारतीय होगा लेककन ववचार,  बोल  और हदमाग
                                                       े
                                                                               े
                                                                                    े
               अंग्रजी होगा।इस भर्क्षा प्रणाल  स भारतीय कवल बाबू ह  बनकर रह गय। अंग्रजों ने भारतीय लोगों को
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               भारतीय सस्क ृ तत स तो दूर ह  रखा लककन अंग्रजी सस्क ृ तत को उनक अंदर गहराई स डाल हदया। यह
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                                                                                           े
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               दु:ख की बात ह कक स्वतंिता प्रातत होने क बाद भी अब तक अंग्रजी भार्ा का वचषस्व बना हआ ह।
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