Page 44 - Darshika 2020
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एक मेिावी ने नैततक भर्क्षा क बार म कहा कक
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िन खो जाने पर क ु छ नह ं खोया,
स्वास््य खो जाने पर क ु छ गया,
लेककन नैततकता खो जाने पर
सब क ु छ गया।
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स्क ू ल स्तर पर मूल्य भर्क्षा पाठ्यक्रम क माध्यम से नैततक भर्क्षा द जा सकती ह। पाठ्यक्रम म लोक
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कथाएं, दर्भश्टत की कहातनयां, महापुरुर्ों की जीवनी, कववताएं, ववद्याथी क भलए मूल्यवान पाठ प्रदान करने
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वाल कववताएं र्ाभमल होनी चाहहए। तनश्ष्क्रय और अप्रत्यक्ष होने पर ह नैततक भर्क्षा सफल होती ह।
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भर्क्षा स मनुष्य म सत्य और असत्य का वववेक जागता ह। भारतीय भर्क्षा का उद्दश्य मानव को पूणष
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ज्ञान कराना ह, उसे ज्ञान क प्रकार् की ओर आग करना ह तथा उसम संस्कारों को जगाना ह।
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नैततकता क प्रतत हमार उदासीनता हमार समाज म व्यातत भ्रष्टाचार से स्पष्ट ह। लोक प्रर्ासन का ऐसा
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कोई क्षेि नह ं ह जहां यह बुराई सवोच्च नह ं ह। ररश्वत हमार सावषजतनक जीवन की एक आम ववर्ेर्ता
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बन गई ह। हम अपने बच्चों को नैततक भर्क्षा प्रदान करने क भलए जमीनी स्तर स र्ुरुआत करनी होगी।
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हमार जीवन म नैततक चररि बहत महत्वपूणष ह। चररि क त्रबना कोई भी व्यश्टत महापुरुर् नह ं बन
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सकता ह। गांिीजी, वववेकानंद, सुभार् चंद्र बोस, जैसे सभी महापुरुर् मजबूत और महान चररि क व्यश्टत थे।
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जैसा कक चररि व्यश्टतयों क भलए आवश्यक ह, यह एक राष्र क भलए भी आवश्यक ह। एक राष्र प्रगतत
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नह ं कर सकता अगर उसने अपना चररि खो हदया ह। इस प्रकार जमीनी स्तर से ववश्वववद्यालय तक
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नैततक भर्क्षा का पररचय बहत ह आवश्यक ह।
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