Page 49 - Darshika 2020
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एक धचडडया का राजा को ज्ञान


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               - सी. रववक ु मार, प्र. श्र. र्ल.




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               एक राजा क महल म एक सुदर बगीचा था। बगीचे म अंगूर की बेल लगी हई थी और उस बैल पर एक
                                                                                  ु
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               धचडड़या रोज आकर बैठती थी। धचडड़या प्रततहदन अंगूर की बेल स चुन-चुनकर मीठ अंगूर खाती थी और
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               खर्टट अंगूर को नीचे धगरा दती थी। बगीचे क माल  ने धचडड़या को पकड़ने की बहत कोभर्र् की पर वह
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               माल  क हाथ नह ं आती थी। माल  ने राजा को यह बात सुनाई। यह सुनकर राजा ने धचडड़या को सबक
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               भसखाने की ठान ल  और अगल हदन बगीचे म घूमते हए जब धचडड़या अंगूर खाने आई तो राजा ने उस
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               पकड़ भलया। वह धचडड़या को मारने लगा तो धचडड़या ने कहा,  राजन,  मुझ मत मारो मैं आपको ज्ञान की
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               चार बात बताऊगी। राजा ने कहा जल्द  बता।
               धचडड़या बोल , पहल  बात - हाथ आए र्िु को कभी नह ं छोड़ना चाहहए।
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               दूसर  बात - असभव बातों पर भूलकर भी ववश्वास नह ं करना चाहहए।
               तीसर  बात - बीती हई बातों पर कभी पश्चाताप नह ं करना चाहहए। कफर धचडड़या अचानक रुक गई राजा
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               ने कहा चौथी बात भी बता दो।
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               धचडड़या बोल ,  चौथी बात जरा ध्यान से सुनने की ह। मुझ जरा ढ ला छोड़ द टयोंकक आपक हाथों म मरा
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               दम घुट रहा ह। राजा ने हाथ ढ ला छोड़ हदया तो धचडड़या एकदम स उड़कर पेड़ की डाल पर बैठ गई और
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               बोल , चौथी बात यह थी कक मर पेट म दो ह र ह। यह सुनकर राजा को बड़ा दुख हआ।
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               राजा की हालत को दखकर धचडड़या बोल ,  ह राजन,  आपने मर  बात नह ं मानी। मैं आपकी र्िु थी कफर भी
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               आपने  मुझ  छोड़ हदया। दूसर   बात  म  मैंने बताया  था  कक असभव  बातों  पर  भूलकर  भी  ववश्वास नह ं
                                                                       ं
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               करना चाहहए। मैंने आपसे कहा कक मेर पेट म दो ह र ह और आपने भरोसा कर भलया।
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               सीख - ज्ञान की बात सुनने और पढ़ने स कोई लाभ नह ं होता यहद आप जीवन म उन पर अमल नह ं
               करते ह।
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