Page 12 - Spagyric Therapy Part- 1st (5)
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एसा य होता ह क हम हमार मा-बाप, हमार घर क बड़ े
बजग एव हम पर इतनी सारी रोक टोक लगानी पड़ती ह ।
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या जीवन को बना रोक टोक क सबकछ खात पीत घमत े
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फरत जीना सभव नह ह ? या आप नह चाहत आपक मा ँ
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बाप का साया आप क ऊपर जीवन पयत बना रह ? या आप
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नह चाहत क आपका हर योहार म आपक प रजन आपक
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साथ ह ? परत आप सोच रह ह ग क 80 या 100 साल तक
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बरहाल कौन जी वत रहता ह एव य सभव भी नह ह । माना
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क सदव कोई भी जी वत नह रहता ह । परत य सभव ह क
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हामार प रजन 100 साल तक जय । हो सकता ह क आपक
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यजन 100 साल स भी यादा जय । हमन पवज स सना
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ह क बीमा रया जहा स श होती ह वो हमारा पट ह, य द
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हम हमार पट को अ ा और श भोजन दग तो हमार शरीर
म रस व र सत लत रहगा और हम बीमा रया नह ह गी ।
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अब आप कहग क परान लोग जीत थ आज सभव नह ह ।
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क त य आज भी सभव ह। य द हम समय समय पर जस े
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इल ॉ नक पाट या मोटर कार को सचा प स चलान क
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लए स वस क आव यकता होती ह। वस ही अपन शरीर क
अद नी अग को श करण कर तो हम व एव नरोगी रह
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सकत ह। मरा मानना ह क बढ़त षण, परासाइट और
बगड़ी ई लाइफ टाईल आ द ही तमाम बीमा रय क जड़ ह