Page 14 - Spagyric Therapy Part- 1st (5)
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मेरा अनुभव
य सा थय ,
म रा ल स सना अ भनय कलाकार , म बात म नह ,
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हक कत म यक न करन वाला । म पहल कछ भी
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सनता या दखता तो उस बात या व त क हक कत का
पता करता क वह कतनी सच ह कतनी सही ह ।
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दरअसल दो त म व ान म व ास रखता हवा म क ई
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बात प नह । अतः ज रक थरपी एक ाक तक व ान ह
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जसप मन इतनी आसानी स व ास नह कया । जब
ज रक नमाण और शोध क श आती दन म, म डॉ.
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योग परो हत स मला था उ ह न अपन शोध क बार म
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बताया तो मझ व ास नह आ क तरत असर करन वाली
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पण ाक तक च क सा व ान भी हो सकता ह । मझ े
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यक न नह था क परालाइ सस, ग ठया, साइ टका, हाट
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अटक आ द जस कई गभीर रोग पर ज रक इतना ज द
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भाव दखाएगा क बना ओपरशन एव बना स और
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क मकल वाली दवाइय क बना रोगी को ठ क कया जा
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सकता ह । जब मन इस बात को सना तो एक सपना और
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मज़ाक जसा लगा ।
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