Page 2 - demo
P. 2

2                                                                        CONCEPTUAL PHYSICS—XII


                              1.1  तवद्युत् आवेश और उनकी प्रकृत् (ELECTRIC CHARGES AND THEIR NATURE)

                                                           े
            हमने िेखा णक एमबि की छड को णबल्ी की खाल (अथवा ऊनी कपर)     1.1.1  आवेशों के प्रकतार (Types of Charges)
                                      े
            से िगरने पि औि काँच की छर को ििम से िगडने पि ये आवेणित हो   उपयु्षति चचा्ष के आधाि पि हम इस णनषकर्ष पि पहुुँचते हैं:
            िाती हैं औि िूसे के सूखे णतनके िैसी हलकी वसतुओं को आकणर्षत किने   •   िब िो णपरों को अतयंत णनकट संपक्क में िखकि िगडा िाता है तो वे
                                                                           ं
            लगती हैं। एमबि को यूनानी िारा में इलेकट्रॉन (Electron) कहा िाता है,
                                                                    आवेणित हो िाते हैं। इस प्रकाि घर्षि से उतपन्न हुए आवेि को घर्षि
            इससे इसमें घर्षि �ािा उतपन्न हुए इस गुि को इलेक्कट्णसटी (Electricity)
                                                                    णवद्युत (Frictional Electricity) कह सकते हैं।
            नाम णिया गया। इलेक्कट्णसटी अथवा आवेि की प्रककृणत को समझने के णलए   •   आवेि िो प्रकाि के होते हैं: (i) धन-आवेश, याणन, वैसा आवेि
            आइए, एक णक्रयाकलाप किते हैं:
                                                                    िो ििम से िगडने पि काँच की छड पि उतपन्न होता है, तथा (ii)
                                                                       े
                            तरियता कलताप 1.1                        ऋण-आवेश, याणन, वैसा आवेि िैसा ऊन से िगडने पि एबोनाइट
                                                         े
            काँच की एक लगिग 1 फुट लमबी छर को, इसके गुरूतव केनद्र पि ििम   की छड पि उतपन्न होता है।
            का धागा बाँध कि, एक दृढ आधाि से इस प्रकाि लटकाईए णक यह क्षैणति   •   ्समतान (Similar) आवेि अथा्षत् िोनों आवेि धनातमक हों या िोनों
                               े
            िहे। अब इसे ििम के कपड से िगड कि आवेणित कीणिए औि णविाम   ऋिातमक हो तो आवेि एक िूसिे को प्रणतकणर्षत किते हैं िबणक
                      े
            में आने िीणिए। एक िूसिी काँच की छड को ििम से िगड कि इसका   अ्समतान (dissimilar) एक धनातमक औि एक ऋिातमक आवेि
                                            े
            णसिा लटकी हुई छड के एक णसिे के पास लाइए। हम कया िेखते हैं? हम   एक िूसिे को आकणर्षत (attract) किते हैं।
            िेखते हैं णक लटकी हुई छड का वह णसिा हमािे हाथ की छड से िि हटता
                                                       ू
            है औि लटकी हुई छड घूम िाती है। ऐसा कयों होता है? सपष्ट है णक ऐसा   सव० मू० प्र० 1:
            इसणलए होता है कयोंणक हाथ की आवेणित छड लटकी हुई आवेणित छड     विद्युतिोधी आधािों पि लगे तीन सव्षसम, धातु के आवेणित गोले हैं णिन
            को प्रत्कत्षि् (Repel) किती है।       [णचत्र 1.1(a)]  पि णिन्न-णिन्न परिमाि में आवेि णवद्मान हैं। गोलों A एवं B को संपक्क
                                                                         ू
               अब काँच की छड के बिाए एबोनाइट की छड को ऊनी कपड से   में लाकि िि हटाया िाता है तो प्रतयेक गोले पि –3q आवेि पाया िाता
                                                          े
                                                                                                   ू
            बाँध कि लटकाईए औि इसके एक णसिे के णनकट एबोनाइट की िूसिी छड   है। इसी प्रकाि B एवं C को संपक्क में ला कि िि हटाने पि प्रतयेक
                                                                                                 ू
            को ऊन से िगड कि लाईए। कया िेखते हैं? िेखते हैं णक एबोनाइट की छड   पि +3q औि C एवं A को संपक्क में लाकि िि हटाने पि प्रतयेक पि
            िी काँच की छड की तिह ही प्रणतकणर्षत होती है।      [णचत्र 1.1(b)]  –q आवेि पाया िाता है। प्रतयेक गोले पि िुरू में णवद्मान आवेि के
                                                                 परिमाि औि प्रककृणत ज्ात कीणिए।
               अब यणि हम क्षैणतित: लटकी हुई काँच की आवेणित छड के पास
            एबोनाइट की आवेणित छड लाएँ तो कया होता है? अब हम िेखेंगे णक काँच     ्संके्: सव्षसम गोलों मे आवेि समान रूप से णवतरित हो िाता है।
            की छड एबोनाइट की छड की ओि घूमती है। इसी प्रकाि एबोनाइट की
                                                                          यु
            लटकी हुई आवेणित छड के पास काँच की छड लाएँ तो एबोनाइट की छड     1.1.2  तवद्य् के चतालक एवं कुचतालक
            काँच की छड की ओि घूमती है।            [णचत्र 1.1(c)]       (Conductors and Insulators of Electricity)
                                                                   ं
                                                                 प्रािणिक प्रयोगों में ही यह बात पता चली णक कुछ पिाथ्ष िैसे एमबि,
                                                                 एबोनाइट, काँच, पलाक्सटक आणि की छडों को तो हाथ में पकड कि घर्षि
                                                                 �ािा आवेणित णकया िा सकता है, लेणकन, लोहे, एलुणमणनयम, ताँबे, पीतल
                                                                 आणि धातुओं की छडों को घर्षि �ािा आवेणित नहीं णकया िा सकता णफि
                                                                 चाहे हम इनहें णकतनी िी िि, णकतने िी कस कि घर्षि कयों न किाएँ।
                                                                                  े
               Fig. 1.1 (a)    Fig. 1.1 (b)      Fig. 1.1 (c)       बाि के प्रयोगों में पता चला णक धातु की छडों में यणि लकडी,
                                                                 पलाक्सटक आणि के हैंरल लगा कि घर्षि णवद्युत उतपन्नन् की िाए तो न
               इसका कया तातपय्ष है? सपष्टत: इसका तातपय्ष है णक काँच की छड
                                                                 केवल आवेि आसानी से उतपन्न होता है उसका परिमाि िी अणधक होता
            को ििम से िगडने पि उसमें उतपन्न हुआ आवेि, एबोनाइट की छड को   है औि यह पूिी छड पि लगिग समान रूप से फैला होता है।
               े
            ऊन से िगरने पि उसमें उतपन्न हुए आवेि से णिन्नन् प्रककृणत का है।
                                                                    ये प्रेक्षि हमें इस णनषकर्ष पि ले िाते हैं णक–
               प्रयोगों ने ििा्षया णक सिी पिाथ्ष, इसी प्रकाि का वयवहाि ििा्षते हैं।
                                                                 •   पिाथ्ष िो प्रकाि के हो सकते हैं: एक वे णिनहें हाथ में पकड कि घर्षि
            रा॰ णगलबट्ड ने ििम से िगडने पि काँच में आए आवेि को कताच्सम तवद्यत्
                                                           यु
                      े
            (Vitreous Electricity) तथा एमबि या एबोनाइट काे ऊन से िगडने पि   �ािा आवेणित णकया िा सकता है– ये णवद्युत के कुचालक कहलाते हैं
                                                                    औि िूसिे वे णिनहें हाथ में पकर कि घर्षि �ािा आवेणित नहीं णकया
                                     यु
            उनमें आए आवेि को रताल्सम तवद्यत् (Resinous Electricity) नाम
            णिया। बाि में बेंिाणमन फ्रैंकणलन ने इनहें क्रमि: धन आवेि औि ऋि   िा सकता - ये णवद्युत के चालक कहलाते हैं।
            आवेि कहा िो प्रचलन में आ गए औि आगे की णवज्ान की ्कनीकी   •   हमािा ििीि णवद्युत का चालक है, कयोंणक, चालक छडों में कुचालक
            शबदतावली (Terminology) में िाणमल हो गए।                 पिाथथों का मुट्ता (Handle) लगाने से वे आवेणित णकये िा सकते
                                                                    हैं, अनयथा, आवेि हमािे ििीि से होकि पृथवी में चला िाता है।
   1   2   3   4   5   6   7