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अध्या्—I : स्थिर विद्युविकी 5
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(iii) कोई आवेि नहीं होगा तो सवि्ष पत्रों पि कोई प्रिाव नहीं परेगा। सथानांतरित होते हैं। णिस णपर पि अणतरिति इलेकट्रॉन आ िाते हैं
सविपत्रों के अपसिि अथवा अणिसिि के परिमाि से णपर पि वह ऋि आवेणित हो िाता है औि उसका द्रवयमान बढ िाता है।
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णवद्मान आवेि के परिमाि का अनुमान िी लगाया िा सकता िूसिी ओि णिस णपर से इलेकट्रॉन णनकल िाते हैं वह धनआवेणित
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है। णितना अणधक अपसिि/अणिसिि णपर पि उतना ही अणधक हो िाता है औि उसका द्रवयमान पहले से कम हो िाता है।
आवेि होगा। (iii) आवेश ्संरक्षण (Conservation of Charge): वैज्ाणनकों
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तिपपणी: अिी तक की हमािी अणिधाििा यह है णक कोई णपर आवेणित ने कुछ िाणियों की पहचान की है, ब्ह्ाणर में णिनका कुल
है या नहीं इसकी सुणनक्चित िाँच तो प्रणतकर्षि �ािा ही होती है णकसी परिमाि किी नहीं बिलता। अापने पढा है णक ऐसी एक िाणि
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आवेणित णपर �ािा आकणर्षत तो अनावेणित णपर िी होता है। अत: यह भ्रम ऊिा्ष है। आवेि िी ऐसी ही एक िाणि है। परिवत्षन चाहे द्रवय
हो सकता है णक अनावेणित णपर पास लाने से णवद्युद्दिशी के सवि्षपत्रों को में हो या सथूल आवेिों में, सिी प्रकाि के परिवत्षनों में परिवत्षन
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णसकुरना चाणहए लेणकन ऐसा नहीं है। यणि आप एक अनावेणित सिकंरे पूव्ष के णपरों के आवेिों का योग सिैव परिवत्षन पचिात के णपडों
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की गोली को धागे से लटका कि णवद्युद्दिशी की पलेट के पास लाएँ तो यह के आवेिों के योग के बिाबि िहता है। आवेिों की यह प्रककृणत
उसकी ओि आकणर्षत तो होगा णकनतु इस पि कुल आवेि िूनय होने के आवेि संिक्षि कहलाती है। उिाहिि के णलए िब हम काँच की
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कािि सवि्षपत्रों पि कोई प्रिाव नहीं होगा। छड को ििम से िगरते हैं तो काँच की छड पि धन आवेि आता
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है औि प्रयोग यह ििा्षते हैं णक ििम के ऊपि समान परिमाि
सव० मू० प्र० 5:
में ऋि आवेि आता है। पिसपि घर्षि से पूव्ष न काँच की छड
एक सवि्षपत्र णवद्युद्दिशी को ऋिावेणित णकया गया है। इसके सवि्षपत्रों पि कोई आवेि था न ििम पि अथा्षत इन िोनों का कुल आवेि
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पि कया प्रिाव होगा, िब इस णवद्युद्दिशी की पलेट िूनय था; घर्षि के पचिात काँच की छड पि +q आवेि आया
(i) को एक धनावेणित छड से छुआ िाता है औि ििम के टुकरे पि –q आवेि। इन िोनों का कुल आवेि
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(ii) के पास एक धनावेणित छड लाई िाती है + q – q = 0 अथा्षत् घर्षि से पहले के कुल आवेि परिमाि
अपने उत्ति के समथ्षन में तक्क िीणिए। के बिाबि ही िहा। आगे आवेि संिक्षि के अनेक उिाहिि
आपके समाने आऐंगे।
1.1.6 आवेशों के तवतशष्ट अतिलक्षण (iv) चतालक तपंडों पर आवेश तव्रण:
(Characteristics of Charges) (a) यणि हम णकसी खोखले चालक को आवेणित किते हैं तो
िैसे िैसे आवेिों की प्रककृणत सपष्ट होने लगी उनके कुछ णवणिष्ट अणिलक्षि आवेि उसके बाह्य पृष्ठ पि ही णवद्मान िहता है चालक
सामने आए। इनमें से कुछ का वि्षन आगे णकया गया है: के आंतरिक पृष्ठ पि कोई आवेि नहीं होता है। इस तथय
(i) आवेशों कता कतांिमीकरण (Quantization of charges) को माइकल फैिारे ने कई िोचक प्रयोगों �ािा ििा्षया णिनमें
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णकसी णपर पि णवद्मान आवेि को णनिंति णविाणित किते िाएँ से एक णततली पकडने के िाल का उपयोग किके णकया
तो अंतत: एक अतयंत लघु आवेि प्राप्त हो िाएगा णिसे आगे गया। प्रयोग णचत्र 1.4 में णततली पकडने वाले िाल को
णविाणित नहीं णकया िा सकेगा। या िूसिे िबिों में कहें तो एक ऊधवा्षधि कुचालक सटैर पि लगाया गया है। िंक्ाकाि
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प्रतयेक णपर पि णवद्मान आवेि (a) एक अतयंत लघु आवेि िाल के िीर्ष पि िो ििम के धागे बाँधे गए हैं णिनमें से एक
े
(e) का पूणषि गुणंज (Integral multiple) होता है। िाल के बाहि है औि िूसिा िाल के अंिि से होकि िाल
अथा्षत q = ± ne ही होगा िहाँ n = ± 1, ± 2, ± 3 + के वलयाकाि आधाि से बाहि णनकलता है। इस धागे को
…… है औि आि हम िानते हैं णक |e| = 1.6023 × खींच कि िाल के अनिि के पृष्ठ को बाहि औि बाहि के
10 –19 कूलरॉम है। यहाँ कूलरॉम आवेि का एक मात्रक है इसके पृष्ठ को अनिि णकया िा सकता है।
णवरय में आप आगे पढें़गे।
(ii) आवेशन प्रकम में द्रवयमतान पररव्षिन हो्ता है (Changes in
mass in the process of charging) आवेिन के प्रक्रम में
नगणय (Neglible) ही सही, णकनिु णपर के द्रवयमान में परिवत्षन
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होता है। ऋि आवेणित होने पि णपर का द्रवयमान बढता है औि
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धनावेणित होने पि इसका द्रवयमान घटता है।
िब आप आवेिन प्रक्रम को इलेकट्रॉन सथानांतिि के रूप में
िेखते हैं तो आपको उपयु्षति अणिलक्षिों को समझने में कणठनाई
नहीं होती। इलेकट्रॉन द्रवय का एक कि है णिसका आवेि e =
–1.6023 × 10 –19 C तथा द्रवयमान ???? = 9.11 × 10 –
31 kg होता है। आवेिन में इलेकट्रॉन एक णपर से िूसिे णपर पि Fig. 1.4: णततली पकडने वाले िाल का प्रयोग
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