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6                                                                        CONCEPTUAL PHYSICS—XII

                      मलमल  के  बने  िाल  को  काँच  की  छड  से  िगर  कि    (b)   10 सेंटीमीटि औि 1 सेंटीमीटि णत्रजया के णवद्युतिोधी आधाि पि

                      आवेणित  किें  औि  एक  परीक्षण  पताद्तदकता  (Proof   लगे िो धातु के गोले हैं िोनों को समान आवेि 10 mc णिया गया
                      ????) िो एक धातु की चकती के केनद्र पि कुचालक    है। (i) िोनों गोलों पि आवेि घनतव का परिकलन कीणिए। (ii)
                      पिाथ्ष की मूर िर पि बनायी िाती है, को िाल के बाहिी   बताईए णक िोनों गोलों को संपक्क में लाने पि आवेि णकस गोले
                      औि आंतरिक पृष्ठ से छुआ कि सवि्षपत्र णवद्युद्दर्शी के पास   से णकस गोले की ओि प्रवाणहत होगा।
                      लाएँ तो हम पाते हैं णक िाल के बाह्य पृष्ठ पि तो आवेि
                                                                                     यु
                      है आंतरिक पृष्ठ पि नहीं है। अब यणि धागे को खींच कि     1.1.7  वतायुमंडलीय तवद्य् एवं ्तड् चतालक
                      हम इसके आंतरिक पृष्ठ को बाहि णनकालें औि णफि िाँच         (Atmospheric Electri city and Lightning
                      किें तो हम कया पाते हैं? हम िेखते हैं णक यह पृष्ठ णिस पि   Conductor)
                      पहले कोई आवेि नहीं था इस पि अब आवेि आ गया है   पृथवी का वायु मंरल क्रमि: घटते धनतव का गैसों के णमश्ि का आविि
                      औि णिस पृष्ठ पि आवेि था वह अनिि चला िाने से उस   मात्र  नहीं  है,  यह  आवेणित  किों  से  णनणम्षत  एक  िणटल  णवद्युतीय  तंत्र
                      पि अब कोई आवेि नहीं है। अथा्षत् आवेश ्सदैव चतालक   िी है िो अनेक णवणचत्र औि णवसमयकािी परिघटनाओं को िनम िेता
                      के बताह्य पृष्ठ पर ही रह्ता है।            है। इनमें से एक परिघटना है ्तड् और झंझतावता् (Lightning and
                   (b)  प्रयोगों �ािा यह ििा्षया िा सकता है णक यणि हम णकसी   Thundersforms)।  वरा्ष  के  णिनों  में  आपने  बािलों  की  गडगराहट
                      णनयणमत आकाि के चालक (िैसे गोले या बेलन) को आवेणित   (झंझावत धवणनयाँ) सुनी होगी औि उसके तुिंत बाि आकाि में कौंधती
                      किते हैं, तो आवेि इसके णकसी िी िाग को णिया िाए वह   हुई प्रकाि की बेतितीब िेखाओं के पैटन्ष (तणरत) िेखें होंगे। ये बािल के
                      एक समान रूप से (Uniformily) इसके समपूि्ष पृष्ठ पि   णवणिन्न िागों में, िो बािलों के बीच अथवा बािल औि पृथवी के बीच
                      णवतरित हो िाता है। इसी प्रकाि हम इसके णकसी िी णबनिु   णवद्युत णवसि्षन के परििाम सवरूप उतपन्न होते हैं।
                      काे िूसंपणक्कत किें तो यह पूिा णपर णनिावेणित हो िाता है।      आिणिक  प्रयोगों  से  पता  चला  णक  िब  अतयाणधक  आवेियुति
                                           ं
                                                                       ं
              णकंतु यतद चतालक तनयतम् नहीं है ्ो आवेश इ्सके नोकीले त्सरों पर   तवजता्ीय (Disimilar) आवेि एक िूसिे के णनकट लाए िाते हैं तो उनके
            ्संघतन् (Concentrated) हो जता्ता है।                 बीच के सथान में णवद्युत णवसि्षन के कािि णचंगारियाँ सी उडती हैं। बाि में
                                                                 वैज्ाणनकों को लगा णक इन णचंगारियों की आककृणत बहुत हि तक तणरत िैसी
               आवेि णवतिि को आवेि घनतव (Charge density) के पिों में
                                                                 ही होती है। तो कया तणरत, वायुमंरल में णवद्युत णवसि्षन की, बरे पैमाने पि
            मापा िाता है। चालक ताि में आवेि णवतिि का माप रैतिक आवेश
            घनतव (Linear charge density) है, इसे l से णनरूणपत णकया िाता   होने वाली परिघटना है? इस परिकलपना की पुक्ष्ट के णलए बेिणमन फ्रैंक्लिन
                                                                                                 े
                                                                 ने बािलों के बीच एक पतंग उराई औि उसकी ििम की रोिी के णनचले
            है  औि प्रणत इकाई लमबाई के आवेि के परिक्षि के रूप में मापा िाता है
            (अथा्षत l =   q  )। इसी प्रकाि चालक पृष्ठ पि आवेि णवतिि का माप   णसिे के पास बँधी एक लोहे की चाबी पि रोिी से होकि आने वाले आवेि
                      l                                          की िाँच की। फ्रैंक्लिन के पतंग आि चाबी वाले प्रयोग (णचत्र 12.5) ने
            पृष्ठीय आवेि घनतव (surface charge density) होता है, इसे s से   वायुमंरल में बरे पैमाने पि आवेिों की उपा सथणत की पुक्ष्ट की औि तणरत
                                                                                             ण
            णनरूणपत किते हैं औि इकाई क्षेत्र में आवेि के परिमाि के रूप में परििाणरत   एवं झंझावातों के प्रक्रम को समझने में सहायता की।
                           q
            किते हैं (अथा्षत s =   )
                           A
               यणि आवेि एक समान रूप से णत्रणवमीय सथान में णवतरित होता है
            तो इसका आवेि णवतिि आयतन आवेि णवतिि (Volume diffusions
            charge density) के पिों में मापते हैं, इसे p से णनरूणपत किते हैं औि
            इकाई आयतन में आवेि के परिमाि (Change per unit volume) के
                                       q
            रूप में परििाणरत किते हैं (अथा्षत r =   )
                                       v
             सव० मू० प्र० 6:
              (a)  परॉणलथीन की एक छड को ऊन से िगरने पि इस पि (–3.2 ×
                   –7
                 10 C) आवेि आ िाता है। परिकलन कीणिए णक–
                 (i)  णकतने इलेकट्रॉन ऊन से परॉणलथीन पि हसतांतरित हुए?
                                                                            Fig. 1.5: फ्रैंक्लिन का पतंग एवं चाबी प्रयोग
                 (ii)  ऊन पि णकतना आवेि होगा?
                                                                      ं
                                                                    फ्ै णलिन ने अपने प्रयोगों के आधाि पि उस समय ऊँची इमाितों
                (iii)  इस प्रक्रम में णकसके द्रवयमान में कमी आएगी औि णकसका
                                                                 पि तणरत प्रहाि से होने वाले णवनाि को िोकने के णलए िी एक हल
                                           व
                             े
                     द्रवयमान बढगा? औि यह कमी या वृ​� णकतनी-णकतनी होगी?
                                                                 ढूुँढ णनकाला। यह था ्तड् चतालक (Lightning conductor)। अपने
                  अपने उत्तिों के समथ्षन में तक्क िीणिए।
                                                                 सिलतम रूप में तणरत चालक प्राय: ताँबे का एक मोटा लंबा ताि होता है
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