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अध्या्—I : स्थिर विद्युविकी 7
ण
णिसके ऊपिी नोकीले (या त्रिूल के आकाि के) णसिे को इमाित के सबसे
ऊचे णहससे से िी कुछ ऊपि िखते हुए वयवक्सथत णकया िाता है औि णफि Storm cloud
ताि का इमाित की बाहिी िीवाि पि णकसी कुचालक पिाथ्ष की सहायता
से इससे अलग िखते हुए नीचे उतािा िाता है औि िमीन कुछ नीचे धातु stream of
positive ions
की एक पलेट लगाकि उसके साथ िोर णिया िाता है औि िबा णिया िाता
है। आवेणित बािल िब इसके पास से गुििता है तो नोकीले णसिे पि प्रेरित spikes
णवपिीत आवेि वायु में णवतरित होकि इसे णनिावेणित किता है औि यणि copper strip
बािल इसको छूता िी है तो चालक से होकि इसका आवेि पृथवी में चला
िाता है औि िवन तणरत प्रहाि से बच िाता है। tall building electrons
repelled to earth
सव० मू० प्र० 7:
(i) कैसे णसद्ध किेंगे णक तणरत िािी आवेि युति बािलों के बीच metal plate in ground
णवद्युत णवसि्षन का परििाम होता है?
(ii) ऊँची इमाितों की तणरत प्रहाि से िक्षा के णलए कया वयवसथा की Fig. 1.6: तणरत चालक
िाती है?
1.1.8 अभयता्स के तलए ्सतातध् उदताहरण (Solved Example for Practice)
्सतातध् उदताहरण–1
तवद्य्रोधी आधतारों पर जड़े धता्ु के चतार ्सवषि्सम आवेतश् गोले हैं तजनहें रिमश: ्संखयता
यु
1, 2, 3, 4 आबंत ि् की गई हैं। यह पतायता गयता तक पता्स-पता्स लताने पर (1, 2), 1 2 3 4
़े
(2, 4) और (4, 1) एक दू्सर को आकत्षि् कर्े हैं जबतक गोले (2, 3) एक दू्सर को
़े
प्रत्कत्षि् कर्े हैं। चतारों गोलों पर आवेश की प्रकृत् तनधताषिरर् कीतजए।
उत्तर: प्रशन में णिए गए प्रणतबंधों के अनुसाि हम णनमनवत् तक्क किते हैं; गोले-1 पि आवेि की 3 संिावनाएँ हैं: 0, (+) अथवा (–)।
गोला-2 कयोंणक गोले-1 को आकणर्षत किता है इसणलए इस पि संगत आवेि संिावनाएँ (+/–), (–), (+) है। इसी प्रकाि गोला-2 गोले-4 को आकणर्षत
किता है इस पि आवेि क्रमि: (–1)/(+), (+) या (–) हो सकते हैं। अब गोला-4 कयोंणक गोले-1 को आकणर्षत किता है इसणलए संिावनाएँ 2 औि
3 णनिसत हो िाती है। अब गोले-3 औि गोले-2 कयोंणक एक िूसिे को प्रणतकणर्षत किते हैं इसणलए गोले-3 पि गोले-2 के समान आवेि होता है। इस
प्रकाि तक्क किते हुए हम इस णनषकर्ष पि पहुुँचते हैं णक–
(i) गोला-1 आवेि हीन है।
(ii) गोला-2 पि धन आवेि है तो गोले-3 पि धन औि गोले-4 पि ऋि आवेि होगा।
(iii) गोला-2 पि ऋि आवेि है तो गोले-3 पि ऋि औि गोले-4 पि धन आवेि होगा।
रि० गोलता–1 गोलता–1 गोलता–1 गोलता–4
1 0 + अथवा – – या +
2 + – × +
3 – + × –
तिपपणी: इस णववेचना में हमने इस तथय का उपयोग णकया गया है णक असमान आवेि एक िूसिे को आकणर्षत किते हैं िबणक समान आवेि एक िूसिे
को प्रणतकणर्षत किते हैं।
्सतातध् उदताहरण–2
तनमनतलति् प्रशनों के उत्तर ्सोच तवचतार कर दीतजए:
(i) ्सिे बतालों में कघता करने के बताद जब उ्स कघे को कतागज के छिोि़े-छिोि़े िुकडों के पता्स लतायता जता्ता है ्ो वे उ्सकी ओर आकत्षि् कयों
रं
ू
रं
हो्े हैं? बताल गीले हों यता व्ताषि कता मौ्सम हो ्ो ऐ्सता कयों नहीं हो्ता?
(ii) वतायुयतान के पतहयों में लगे ितायरों की रबर को थिोडता चतालक कयों बनतायता जता्ता है?