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8 CONCEPTUAL PHYSICS—XII
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(iii) ज्वलनशील पदताथिषि ले जताने वताले वताहनों में प्रताय: धर्ी को छि्ी हुई धता्ु की श्िलता कयों लिकी रह्ी है।
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(iv) कयता तक्सी ्रह यह ्सिव है तक वयसति के शरीर को बड पररमताण में आवेश तदयता जताए तिर िी उ्से झिकता (Shock) न लगे?
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(NCERT)
उत्तर: (i) सूखे बालों में कंघा किने पि कंघे पि घर्षि �ािा वैद्युत आवेि णवकणसत हो िाता है। इस आवेणित कंघे को िब कागज़ के टुकडों के पास लाते
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हैं तो प्रेिि �ािा उनके णनकटवतशी णसिों पि णवपिीत औि ििसथ णसिों पि समान आवेि णवकणसत हो िाते हैं। णवपिीत आवेि अपेक्षाकत णनकट
कृ
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होने के कािि कंघे के कािि कागि के टुकड पि लगने वाला आकर्षि बल अणधक प्रबल होता है इसणलए कागि के टुकड कंघे की ओि
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आकणर्षत होते हैं।
नम बाल या वायु वैद्युत चालक हो िाते हैं इसणलए कंघे पि णवकणसत आवेि बालों या वायु में णवतरित हो िाता है औि यह आवेणित नहीं हो
पाता।
(ii) िबि णवद्युत की कुचालक होती है। वायुयान उडान ििते या उतिते समय हवाई पट्ी पि तेिी से िौडते हैं णिससे घर्षि के कािि उसके पृष्ठ
औि टायिों पि िािी परिमाि में आवेि उतपन्न होता है णिसके कािि उसके णवणिन्न िागों के बीच णवद्युत णवसि्षन से णचंगािी उतपन्न हो सकती
है औि इसमें आग लग सकती है। टायिों को थोडा चालक बना िेने से यह आवेि िणम में चला िाता है औि िघ्षटना होने से बच िाती है।
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(iii) ज्वलनिील पिाथ्ष ले िाने वाले वाहनों में िी घर्षि के कािि उतपन्न आवेिों को िूसंपणक्कत किने के णलए धिती को छूती हुई धातु की श्ृखला
लगाई िाती है।
(iv) यणि वयक्ति को एक णवद्युतिोधी मंच पि खडा किके उच्च वोलटता स्ोत के संपक्क में लाया िाए तो उसके ििीि पि बड परिमाि में आवेि आ
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िाएगा णकनतु यह आवेि उसके ििीि के िीति के कोमल अंगों को प्रिाणवत नहीं किेगा। िूसंपक्क होने से ही ििीि के िीति से आवेि प्रवाह
होता है णिससे झटका लगता है।
्सतातध् उदताहरण–3
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द्रवयमतान और आवेश मूल कणों के आधतारि् गुण हैं। इनमें कयता तवतशष्ट अं्र हैं?
उत्तर: (i) आवेि धनातमक हो सकता है, ऋिातमक हो सकता है या णफि िूनय हो सकता है द्रवयमान हमेिा धनातमक ही होता है।
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(ii) आवेि क्ांटमीकत होता है, e के अंिरूप आवेियुति किों-क्ाकथों के अक्सततव के बाबिि णपरों पि e के अंिरूप आवेि नहीं होता, यह
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हमेिा e के पूि्षगुिांक के रूप में ही प्राप्त होता है, णकनतु, द्रवयमान की क्ांटम प्रककृणत सपष्ट नहीं है।
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(iii) आवेि का परिमाि गणत के साथ नहीं बिलता णकनतु द्रवयमान के परिमाि में आइनसटाइन के द्रवयमान परिवत्षन समीकिि, m = 0
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के अनुसाि वृ � होती है। 1 −
ण
c 2
(iv) आवेि सिैव संिणक्षत होता है णकनतु द्रवयमान आइनसटाइन के द्रवयमान ऊिा्ष संबंध ???? का अनुपालन किते हुए ऊिा्ष में रूपांतरित हो सकता
है इसणलए नाणिकीय अणिणक्रयाओं में संिणक्षत नहीं होता।
(v) अावेिों के बीच अनयोनय णक्रया कूलरॉम के णनयमानुसाि होती है िबणक द्रवयमानों के बीच अणिणक्रया नयूटन के वैक्श्वक गुरुतवाकर्षि णनयम के
अनुसाि होती है।
्सतातध् उदताहरण–4
आवेश ्संरक्षण के कोई ्ीन उदताहरण दीतजए।
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उत्तर: (i) घ्षिण �तारता तपंडों कता आवेदन: उिाहिि के णलए हम काँच की छड को ििम के कपड से िगर कि आवेणित किने के प्रक्रम पि णवचाि
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किें। िगडने से पहले काँच की छड औि ििम का कपरा िोनों आवेिहीन होते हैं। िगडने के बाि काँच की छड पि धन तथा ििम के कपरे
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पि समान परिमाि में ऋि आवेि आ िाता है, अथा्षत िो णपरों के इस णनकाय का कुल आवेि िगडने से पहले औि बाि में िूनय िहता है िो
आवेि संिक्षि णसद्धांत के साथ संगणतपूि्ष है।
(ii) नाणिकीय अणिणक्रयाओं में आवेि संिक्षि अणिणक्रयाकों औि उतपािों के पिमािु क्रमांकों के योग �ािा वयति होता है। उिाहिि के णलए नाइट्ोिन
पि अलफा किों की बौछाि से ऑकसीिन का बनना आवेि संिक्षि णसद्धांत के अनुसाि ही होता है, यथा: He + 4 2 14 N → 17 O + H
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यहाँ अणिणक्रयक नाणिकों पि आवेि (2+7=9) है औि उतपाि नाणिकों पि िी उतना ही (8+1=9) ऋि आवेि है।
(iii) िासायणनक बंध णनमा्षि प्रक्रम में िी आवेि संिक्षि होता है। उिाहिि के णलए सोणरयम लिोिाइर णनमा्षि प्रक्रम में सोणरयम पिमािु अपना
बाह्यतम कक्षा का। इलेकट्रॉन लिोिीन को िेकि सवयं धन आयन बन िाता है औि लिोिीन ऋि-आयव हो िाता है। णवपिीतत: आवेणित ये कि
कूलरॉमी बलों के कािि पिसपि बंणधत हो िाते हैं।