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अधयाय1                         fLFkj fo|qfrdh













                                (ससथिर आवेशों की प्रकृत्, पतारसपररक तरियताओं और अनुप्रयोगों कता अधययन)


               1.1  तवद्युत् आवेश और उनकी प्रकृत्                 1.3  तवद्युत्  त �ध्व
                                                                              ु
                    (Electric Charges and Their Nature)               (Electric Dipole)
               1.2  आवेताशों के बीच अनयोनय तरियताएँ               1.4  तवद्युत् फलक्स ्थिता गताउ्स कता प्रमेय
                    (Interactions Between Charges)                    (Electric Flux and Gauss’s Theorem)












               वे एक बाल प्रतिभा (Child Prodigy) थे। 7 वर्ष की उम्र में ही   संकलपनाओं को ठीक से समझना, आधुणनक णवज्ान औि प्रौद्ोणगकी की
            अपनी परिकलन क्षमता से उनहोंने अपने गणित णिक्षक को चमतककृत कि   प्रगणत की णििा में किम बढाने के णलए आवशयक है।
            णिया था। हुआ यूँ णक उनके णिक्षक णम० ब्टन को कुछ िणिसटि संबंधी      णवद्युत युग की िुरूआत लगिग 200 वर्ष पूव्ष हुई, णकनतु णवद्युत्
                                         ें
            काय्ष किना था। इसणलए उनहोंने कक्षा को लमबे समय तक वयसत िखने के   संबंधी पहली परिघटना ईसा से लगिग 600 वर्ष पूव्ष यूनान के णमलेटस
            णलए कक्षा काय्ष बोर्ड पि णलखा: “एक से सौ तक की संखयाओं का योग   नामक िहि में थेलस नामक िाि्षणनक �ािा अनायास िेखी गई थी। थेलस
            कीणिए।” पि िैसे ही वे बोर्ड से हटे, गाऊस ने उत्ति बता णिया 5050।   तिी-तिी खोिेे गए प्राककृणतक चुमबक लोर सटोन (Fe O ) के समान गुि
                                                                                                      4
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            गोउस ने सोचा णक (100 + 1), (99 + 2) औि इस प्रकाि क्रमि: िुरू   ििा्षने वाले अनय पिाथथों की खोि में थे। उनहोंने पाया णक एमबि नामक एक
            औि आणखि की संखयाओं का योग किें तो 100 तक 101 के 50 िोड  े  रतालदतार (Resinous) पिाथ्ष की छड को णबल्ी की खाल से िगड कि
            बनेंगे औि इसणलए 1 से सौ तक की संखयाओं का योग (101 × 50)   िब सूखे िूसे के टुकडों के पास लाया िाता है तो वे उसकी ओि आकणर्षत
            होगा। इस तिह की मौणखक परिकलन क्षमता का परिचय उनहोंने अंत तक     होते हैं। बाि-बाि िोहिा कि की गई िाँच �ािा थेलस ने यह िी पाया णक
            णिया।                                                एमबि में यह प्रवृ त्तप्रककृणत प्रित्त नहीं है उसे णकसी कोमल वसतु से िगरने
                                                                            ण
               गणित के क्षेत्र में अप्रणतम योगिान के णलए गाउस को णप्रंस ऑफ   पि ही उतपन्न होती है। लगिग 2000 वर्ष तक यह प्रेक्षि बस कौतूहल का
                                                                                            े
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            मैथेमैणटकस कहा िाता है औि णवश्व के अब तक के सव्षश्ष्ठ गणितज्ों में   णवरय ही बना िहा। इस णििा में कोई णविर प्रगणत नहीं हुई। सन 1600 ई॰
            उनकी गिना होती है।                                   में इंगलर की ततकालीन महािानी के वयक्तिगत णचणकतसक रा॰ णगलबट्ड ने
                                                                     ैं
            प्रस्तावनता                                          अपने प्रयोगों �ािा ििा्षया णक िगडने से णतनकों को अपनी ओि आकणर्षत
                                                                            ण
                                                                 किने की यह प्रवृ त्त णिसे बाि में आवेिन कहा गया एमबि तक ही सीणमत
            आि हम णवद्युत् युग में िी िहे हैं। हमािे िणनक िीवन की प्रगणत औि सुख
                                       ै
                                                                 नहीं थी अनय पिाथ्ष िी इस प्रकाि का गुि ििा्षते थे। उिाहिि के णलए
            सुणवधाओं से िुडी अणधकांि मिीनें औि उपकिि णवद्युत से चलती हैं।   उनहोंने िब काँच की छड को ििम के कपड से िगडा तो उसने िी सूखे
                                                                                      े
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            लेणकन आि से केवल 200 वर्ष पूव्ष की िणनया णबलकुल णिन्न थी। कैसी
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            िही होगी वह िणनया, इसका अनुमान आप उन कुछ पलों के अनुिव से   पिाथथों के घर्षि �ािा आवेिन संबंधी अधययन के प्रणत रूणच िगाई णिससे
                      ु
            लगा सकते हैं िब णबिली चली िाती है। णवद्युत् की प्रककृणत के सही ज्ान
                                                                 आवेिन, आवेि औि उसकी प्रककृणत के संबंध में णवसतृत िानकािी प्राप्त
            से अनेक नई प्रौद्ोणगणकयों के �ािा खुले हैं िैसे इलेकट्रॉणनकी, कंपयूटि,
                                                                 किने के णलए अनेक प्रयोग णकए गए। अब हम णवद्युत् आवेि औि उनकी
            सूचना प्रौद्ोणगकी, नैनोटेक्ोलरॉिी आणि। इसणलए, णवद्युत् की आधाििूत   प्रककृणत का वि्षन किेंगे।
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