Page 12 - Navvihaan 2021 10-9-21
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रवव कांत हदवाकर
                                                  े
                                        स ायक लखापरीक्षा अधिकारी
                                                          े
                                                  कोंकि रल











                                                      क   छ लोग जीवि म ब त खास बि जात  ैं,
                                                                         े
                                                                                              े

                                                       ालात और उिमें ब ि वाल भाव उन् ें यू बिा जात  ैं |
                                                                                              िं
                                                                            े
                                                                                 े
                                                                                                         े

                                                      जब हृदय पर  ावी  ो जाए मजस्तष्क,
                                                      और उलझि पैदा  ोि लग जाए |
                                                                           े
                                                                  े
                                                      और जब इि दोिों क बीच िसा व्यजक्त
                                                                                  िं
                                                                          े
                                                      म सूस कर एक कन्िा,
                                                                 े
                                                      जो उसकी उलझिों को स लझा सक
                                                                                       े
                                                      ऐस लोग ब त कम समलत  ैं ||
                                                                                े
                                                         े


                                                      किर जब  ोि लग घण्टों बात,
                                                                                   े
                                                                   े
                                                                        े
                                                      उि र्वषयों पर जजसम य बारीकी स लझाई जा सक
                                                                              े
                                                                           े
                                                                                                      े
                                                      कक मजस्तष्क या हृदय कौि स ी!

                                                      वो घण्टों की गयी बातों का साँझीदार,

                                                      वो कन्िा जजसप भरोसा  ो जाए |
                                                                      े


                                                      व ी तो दोस्त  ,
                                                                      ै
                                                       ै
                                                        ि?

                                                                                 *****












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