Page 13 - Navvihaan 2021 10-9-21
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दवािन्द क   मार शसंह
                                            े
                                        एम. टी. एस., भ सावल मिंडल



                                          हमरो बचपि




                                                          े
                     बचपि  यािी  की  जजिंदगी  का  सबस            - दो एकम दो, दो दूनी चार और दो तिया
                                                                                              े
                                                                  े
               खूबसूरत  पड़ाव,  जजसकी  यादें     र  कोई           छ...।  आज  ककतिी  भी  सक्सर्पयर  की
                                                                                   े
               अपि  हदल  में  सिंजोकर  रखिा  चा ता     ।         रचिाएिं पढ ल, लककि एक  था राजा, एक
                                                                               ें
                    े
                                                       ै
                                  े
               बचपि की ख्वाह श, जजद सब अपिी  ोती                 थी रािी वाली क ािी वाला मिा ि ीिं आता
                                                  े
                                                                            े
                 िं
               थी  ।    बचपि  की  यादों  में  सबस  ज्जयादा       । मासूम स  म थ और मासूम सी  मारी
                                                                                    े
                                                                                            े
                                                                      े
                                                                                                     े
               खास  स्क ू ल  लाइि  की  यादें   ोती   ैं  ।        रकत थी । कोई डािंट भी द तो रोि लगते
                                                                                                  े
                         े
                                                                                                        े
               जजदगी  म  स्क ू ल  लाइि  का   ोिा  और  य          थ और जरा स में  ी णखलणखलाि लगत थ
                                                          े
                                                                  े
                                                                               े
                                                                                                           े
                  िं
                                                                                       े
                                                    ै
                                                                                                           े
               समय  बीत  जाि  पर  बाद  में   में  बठ  कर         ।  उस  समय  िा  जाि  स्क ू ल  क्यों  काटि
                               े
                                                                                                           े
                            े
                                              े
                                                                                                े
               उसक  बार  म  सोचिा,  सच  म  ब त  मिा              दौड़ता    था  ।    स्क ू ल  िा  जाि  क  ककति
                         े
                    े
                                                                                                   े

               आता     ।  वो  यादें    कभी   साती   ैं  तो       ब ाि बिाते थ - कभी दर तक सोय र िा,
                                                                      े
                                                                               े
                                                                                                    े
                                                                                         े
                                              िं
                       ै
                                                                         े
                                                                                                           े
                                          े
                                                                                             े
               कभी  रुलाती   ैं  ।  सोचत  थ  बड़   ोकर            मम्मी क बार- बार जगािे क बाद किर स
                                                   े
                                              े
                                                                                         ि
                                                                                   े
                                                                                               े
                                                    े
                                           े
                                      े
               जििंदगी अच्छी  ो जायगी लककि  म क ाँ               सो  जािा,  कभी  पट  दद  करि  का  ब ािा
               पता  था  कक  बचपि   ी  अच्छा  था  ।  बड़ा          बिािा । और आज   कक ख द स ब  जग
                                                                                       ै
                ोि  पर  जजम्मवाररयों  स  पीछा   ी  ि ीिं         कर  ऑकिस  चल  जात   ैं,  ब ािा  भी  ि ी
                   े
                                                                                                           िं
                               े
                                                                                 े
                                         े
                                                                                       े
               छ ू टता|    स्क ू ल  में  तो  ब ाि  बिाकर         बिा सकते ।
                                                े
               जजम्मवाररयों    से  बच  भी  जाया  करते  थे।
                     े
                                                                      ह िंदी  क  िोट्स  में   ी  क   छ  पन्िों  क
                                                                                                           े
                                                                             े
               जैस - सर कल त्रबजली ि ीिं थी, सर कॉपी
                   े
                                                                 बीच म एक पज मोड़कर सिंस्क ृ त का िोट्स
                                                                       े
                                                                               े
               घर  पर  छ   ट  गया  वगैर -  वगैर   ।  बकिक्र
                                                     े
                                                                 बिा  लते  थे  ।  शायद  सभी  ऐसा   ी  करत
                                                                                                           े
                                                                        े
                म थ, बकिक्र  मारी बातें  थी और बकिक्र
                                                     े
                     े
                        े
                                                                                                      े
                                                                                                  े
                                                                  ोंग  ।  क्लास  का  मॉनिटर  बिि  म  एक
                                                                    े
               सी जििंदगी थी ।
                                                                 अलग  सा  गौरव  म सूस   ोता  था  ।   ोम
                                                          े
                     काश  आज  एक  बार  किर  बचपि  म              वक्सि का कॉपी कलक्ट करिा, कभी क्लास
                                                                                    े
                   े
                                                                                                           े
               जाि  का  मौका  समल  जाता  तो  क्लास  क            में  बच्चों  स  आन्सर  स ित  समय  अपि
                                                                             े
                                                                                             े
                                                         े
               पोडडयम पर खड़े  ोकर दो का प ाड़ा पढता               दोस्त को बैठा दिा |
                                                                                े

                                                            13
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