Page 107 - lokhastakshar
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               क?वता या स यता क7 इस या<ा म हम बुO को  हQ, उनके  संशय हQ, उनके  सवाल हQ, उनका सच है-
                                                     5
                               े
                                                    ै
               भात का 2योता दती आ‚पाली िमलती ह और याद  और  यह  पूर"  बातचीत  ऐसी  बीहड़  ~ी  भाषा  के
                       ै
                                 े
               करती ह जो बुO न कहा था, ‘रह जाएगी कeणा,  उपमान- और ?बंब- से भर" है #क जैसे हम पुराने
               रह  जाएगी  मै<ी,  बाक7  सब  ढह  जाएगा।‘  ले#कन  घर क7 रसोई म5, उसके  ओसारे म5, उसके  आंगन म5
                                                        े
                                                     े
                                            े
               ,या रहा और ,या ढहा?  रहन और ढहन क बीच  खड़े  हQ  और  अदहन  चढ़ाती,  सूप  फटकारती,  धान
                                                         े
                      े
               न जान ,या-,या सहती-कहती और बांटती थ8रय-  सुखाती 9~य- क7 बातचीत सुन रहे हQ।
                                                        े
               क7 एक पूर" ब
ती ह जो Yान और कeणा क जल
                                  ै
                                                                इस बातचीत म 9जतनी क?वता ह, उतना ह" उसम
                                                                             5
                                                                                              ै
                                                                                                             5
                 े
                                          े
               स  कविय<ी  को  और  उसक  सहचर  पाठक  को
                                                                                                         ै
                                                                        े
                                                                बहुत गहर धंसा हुआ एक स यता ?वमश  भी ह जो
                               ै
                                         े
                                                    े
               सींचती  चलती  ह।  तृ;णा  थर",  भाषा  थर",  
मृित
                                                                             ै
                                                                याद #दलाता ह #क वच 
वशाली सdाओं और समूह-
                                       े
               थर", सरला थर", मु^ा थर", 9जजी?वषा थर" जैसी
                            े
                                                      े
                 े
                                                                                               े
                                                                 े
                                                                क िल9खत और *चा8रत इितहास क ?वराट राजपथ
                                े
                                                            े
                                                   े
                                           5
                 े
               थ8रयां  इितहास क  प8रपाZ   म चल रह जगत क
                                                                क  समानांतर  स यता  क7  एक  छोट"  सी  पगडड"
                                                                                                           ं
                                                                 े
                                  5
                                                  Q
                                                             े
               एक ?वराट नाटक म मंच पर आती ह और अपन
                                                                                                        ं
                                                                                                            े
                                                                                              ै
                                                                                   े
                                                                9~य- क7 पदचाप- स भी बनी ह। इस पगडड" क
                    े
                                                    े
                       े
                                              ं
               #ह
स क अनुभव, अपनी यातनाए, अपन दुख और
                                                                                       े
                                                                             े
                                                                दोन- तरफ सहज कर रख गए दुख- क7 झड़बे8रयां
                                                  Q
                                                       े
                        ु
               उ6मीद कछ इस तरह साझा करती ह जैस 9~यां
                                                                                                े
                                                                ह, उनक7 खऱ-च खाकर भी िनकाल गए सुख- क7
                                                                 Q
                                             े
               ह"  कर  सकती  ह।  इन  9~य-  क  बीच  ढाई  हज़ार
                               Q
                                                                         Q
                                                                फिलयां  ह  और  राग-?वराग,  िन
संगता-असंगता
                                   े
               साल का फ़ासला जैस नज़र नह"ं आता और अगर
                                                                                                             5
                                                                               े
                                                                और संलuनता क तार- पर सूखती अनिगनत याद
                                                            े
                       ै
                                               ै
               आता  ह  तो  यह"  याद  #दलाता  ह  #क  समय  क
                                                                     Q
                                                                                           े
                                                                                    ं
                                                                भी  ह।  ऐसी  ह"  पगड#डय-  स  िनकलती  कविय<ी
                                                        े
               आरपार  जाता,  स#दय-  और  सह§ा9bदय-  स  लंबा
                                                                अचानक )ांित चौक पर पहुंच जाती ह और बताती
                                                                                                  ै
                          ै
                                                े
                                                        ै
               एक धागा ह जो इन 9~य- को बांध रखता ह। ‘मQ
                                                                ह-  ‘आज मQ  इितहास  स  टकरा  गई  /  ले#कन वह
                                                                 ै
                                                                                      े
                                         े
               आ#दम  भूख  हूं  बेट",  मुझ  पहचान  रह"  हो?  /
                                                                मुझको  पहचान  ह"  न  पाया।  /  भूल  चुका  था
                        5
               दुिभ   म चूUहा / फ़क7र क7 एक आंख सा धंसा /
                                                                मुझको पूरा वह / भूल चुका था #क मQ उसक7 ह"
                                 े
                                             ं
                        ै
                                                    ै
               जांचता  ह  गौर  स  मुझको,  हसता  ह!  /  और
                                                                क ा म थी।‘
                                                                      5
               अžटहास  क7  तरह  /  फल  जाती  हूं  मQ  हर  तरफ़’
                                     ै
               यह  तृ;णा  थर"  कहती  ह  और  सुनन-िलखन  वाली  क?वता  यहां  दरअसल  ख़Fम  नह"ं,  शु_  होती  है-
                                                       े
                           े
                                                 े
                                      ै
                       ै
               बताती ह #क ‘मQ आपको जानती हूं मां।‘              और  वह  सम
या  भी  जो  अनािमका  का  अनायास
                                                                                                            े
                                                                                      ै
                                                                अनगढ़पन  पैदा  करता  ह।  दरअसल  अनािमका  क
                                               5
                               े
               यह  बतकह"  जैस  पूर"  #कताब  म  पसर"  हुई  ह।
                                                            ै
                                                                             5
                                                                रचना संसार म परपरा का यह महासागर बहुत बड़ा
                                                                                ं
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                                                            Q
               काल  क  आरपार  जाती  थ8रयां  बात  कर  रह"  ह-
                                        े
                                                                                                       े
                                                                ह, ले#कन इस महासागर म आधुिनकता क छोट-       े
                                                                 ै
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                                             े
               अपन स, िलखन वाली स, बुO स- उनक7 िशकायत
                                                                                                            े
                                                                   े
                                                                                े
                                                                                                   Q
                                                                                                 े
                                                                                    े
                                                                छोट टापू नह"ं, बड़-बड़ महाV"प तैरत ह- अतीत क
               मई – जुलाई                             107                                                                   लोक ह
ता र
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