Page 104 - lokhastakshar
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पुeष चूड़" ,य- नह"ं पहनत बितयाती ह उनसे सुख दुःख
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मQने कहा हट पगली उनक दुख पढ़ती ह
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पुeष चूड़" कस पहनेगा वे चढ़ सकती ह पेड़
कायर कहगे सब तो उस ले#कन पेड़ पर नह" चढ़ती
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वो तो औरत का गहना ह कह"ं टूट ना जाये डाली,
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तु6ह शायद इसी जवाब का इ2तजार था झड़ ना जाये पdा
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तुमने पूछा कह"ं दद म5 ना आ जाये पड़,
औरत का गहना पुeष क िलए वे पेड़ क दद को महसूसती ह
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तौह"न ,य- ह उ भर पेड़ बनी रहती ह
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मQने कहा मत पहनो बस औरत5 अजीब पागल होती ह
ले,चर मत झाड़ो तुमने कहा
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अभी पाजब और पUलू तो मQने पूछ नह"ं वे पानी स *ेम करती ह
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बहुत कम पानी से नहाती ह
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कम पानी पीती ह
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औरत पागल होती ह बाUट", कन
तर, मटका,
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टब सब भर रखती ह,
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औरत5 पागल होती ह #कसी #दन #फर यूं ह"
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वे जानवर- से *ेम करती ह आंख- क र
ते 8र^ हो जाती ह,
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नद" भरती ह
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गाय,भQस,भेड़,बकर" सम2दर उड़लती ह
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यहां तक #क उनक बSच- तक से औरतv सच मे पागल होती ह
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*ेम करती ह सोचता ह पु_ष #क सच म पागल ह औरत
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उन बSच- क ज2म क व^ वे *ेम ह" करगी हर घड़",
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वैसी ह" पीड़ा क तनाव म5 रहती ह हर मौसम, हर हाल
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जैसे खुद जन रह" ह- बSचा सच यह ह ले#कन
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बSच क ज2म क बाद व #क वे पुeष से *ेम नह" करती
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तनाव क सम2दर स बाहर आती ह, वे मनु;यता से *ेम करती ह
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ज2म को उFसव बना दती ह
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औरते हद पागल होती ह पु_ष से वे तब तक ह" *ेम करती ह
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नीम से *ेम करती ह जब तक बची रहती ह उनम
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पीपल से *ेम करती ह मनु;य बने रहने क7 संभावना
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जंड",क7कर, बेर" सबस
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पूजने क7 हद तक *ेम करती ह
मई – जुलाई 104 लोक ह
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