Page 99 - lokhastakshar
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                                           5
                                  े
               पहले ~ी ने जुबान क ताल- म                          धम  क मार क7 दहशती धम  लाठl
                                                                                    े
                                                                               े
               बसर क7 9जंदगी                                      या मार मार क उसक स6मान को
               और दूसर" घूँघट म5 रह" जीवनभर                       दबोची जा सकती उसक7 उड़ान
               तीसर" जो सुबह
                                                                           े
               करती थी सूय  को नमन                                #फर भी य
               तब ह" वो दख पायी थी                                चौथी औरत नह"ं घबराती
                          े
                                                                             ै
                                                                      े
               पूरा आसमान                                         उसक पास ह िश ा क7 मजबूत
               शायद यह"ं से िलया होगा                             जीवनदायनी अमृत qयाली
               उसने उजा भरा तेज                                   और बे#ड़य- को खोलने क7 मजबूत म2शा
               और उषाकाल म5 ज2म हुवा होगा इस चौथी                 और भे#ड़य- क 9खलाफ़ लड़ने का जºबा
                                                                              े
               औरत का

                                                                                                          े
                                                                                                 5
                                                                  चौथी औरत मजबूती से डटकर लड़गी सब स

               9जसने तोड़ा था जुबानी ताला                          वो बस इन तीन औरत- को ह" िसफ बचाना नह"ं
                      5
               उतार फका था घूँघट                                  चाहती
                                                                                     ै
               सूरज को अपने म समा                                 उसे तो ये भी िचंता ह #क
                                5
                            ै
               वो बन गयी ह रोशनी                                  पांचवी औरत को
                                                                                          े
               9जससे वह शायद                                      ये समाज #फर से न बना द पांचाली......
                                          े
               िमटा सकती ह तीन- औरत- क जीवन से
                            ै
               अंधकार
                           ै
                                           े
               लड़ सकती ह अपने अिधकार क िलए
                                                   े
                                       े
               इितहासी प2न- से जुUमभर प2न- को दकर                      पFथर
                                     ै
                          ूँ
               अ9uन वो फक सकती ह
                                                                  मेर" क का पFथर
                                        े
               अ2याय से भर सार द
तावज
                            े
                                े
                                                                    े
                                                                                  े
                                                                  मेर पेट पर रख दना
                                            ै
               लंबी सांस लेना भी सीख गयीं ह
                                                                              े
                                                                                  े
                                                                  तब भरा #दखगा पट मेरा
                           5
               मनुकाल क रगते साँप फफकार कर कर सकते
                         े
                                     ुं
                                                                            ं
                                                                  और कोई हसकर नह"ं

                 ै
               ह उसे मूिछत
                                                                  कह पायेगा #क
                                  ू
                                                े
               या पुeषFवधार" ?बSछ कह"ं मार न द सं
कित
                                                      ृ
                                                                                     ै
                                                                  "लाश का पेट खाली ह"
                                  ं
                 े
               क नाम से जहर"ले डक

               या उसपर छोड़" जा सकती ह
                                         ै
                                                                                  े
                                                                  लोग बहुत गौर स
               बदचलन नाम से जहर"ली गैस
                                                                         ै
                                                                   े
                                                                  दखते ह लाश- को
                                े
                    ु
               या कUटा,बाजा_ क संबोधन क7 नुक7ले पFथर
                                                                  9ज2द- को भी दखना
                                                                                े
                                            ै
               मार उसे कर #दया जा सकता ह घायल
                                                                  सीख लेते तो ??
                                            ै
               या उसक7 पीठ पर पड़ सकती ह
               मई – जुलाई                             99                                                                   लोक ह
ता र
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