Page 95 - lokhastakshar
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               ढूँढते हुए                                       खड़ होकर सीखा #दया
               छटाक भर जीवन  !
                                                                                    5
                                                                               ै
                                                                यह"ं से िमलता ह उ2ह
               इससे ,या होगा ?                                  आFमबल
                                                                   े
                                       Q
                       े
                                                                                 े
                                    े
               िमžट" क घर घुल जात ह                             पीछ मुड़कर नह"ं दखतीं
               जैसे बा8रश क बाद                                 मुंह म5 दवाए रखतीं  ह शू2य
                                                                                    Q
                           े
                   े
                                                                                        े
                                                                       े
               क7ड़-मकड़-  क7                                     शू2य क भीतर *वेश करत ह"
                                                 ै
               धरती पर बसी  दुिनया उजड़ जाती ह                   बनाती ह- जैसे पृgवी का मुख
                                                                      े
                                                                या<ा क दरिमयां
                                       5
                             े
               #फर से बसने क *यास म
                                 Q
               वे उदास नह"ं होते ह
               चींट" पहाड़ चढ़ती
                                                                       े
               कभी नह"ं थकती                                    ये उनक #ह
से का
                              Q
               )मबO चलती ह                                      सुख नह"ं ह
                                                                          ै
                                                                      े
                                    5
                                                                  े
                                               ै
                                                                                  े
                                                                          े
               ये सीखाते हुए #क उ2ह भी आता ह                    खत क सार #क सार बीज
                                                                                      े
                                                                            Q
                                                                         े
                                                                     ू
               पं?^य- म5 चलना                                   जब फटत  ह गभ गृह स
                                                                                        ै
                                                                वहाँ िलंग भेद नह"ं होता ह
                                   Q
               चलते हुए वे बताती ह -                            जीव और जीवन
                                                                                          ै
                                 े
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               मानो  ,एक क पीछ दूसर"                            स6बोिधत करते हुए कहता ह  '{य?^  '
                                        Q
                           े
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               दूसर क पीछ तीसर" खड़" ह
               एकता और अखंडता का पाठ                            बावजूद, सबक7 भूख को
                                   Q
                                                                          ै
               #फर - #फर दोहराती ह                              पहचानता ह
                                  5
               जब#क इस *#)या म                                  तुम भी पहचान लो 
वयं को
                                                                                      ु
                                       े
               हजार - हजार मत बा िगरत हुए                       अपने ह" पीड़ा से हाथ छड़ाना
               मनु;य जीवन                                       इसी सद" म
                                                                           5
                                                                     े
                                     5
               क7 प8रभाषा को पं?^ म                             हवा क रथ पर सवार
               िलख कर                                           होकर तलाशती  ह  वे एक 9जंदगी
                                                                                Q
                                                                                      े
               मानव स यता का पाठ                                9जसे अपना कहा जा सक
               पाठशाला से बाहर
                                                                  •
               मई – जुलाई                             95                                                                   लोक ह
ता र
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