Page 92 - lokhastakshar
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                                           ै
               बुराई स  और #कतना लड़ना ह
               जब#क इस समय                                      बाढ़ म5 बह ग…
               युO, महामार" और लड़ाई                             लापता हु…
                                                                मृFयु से लड़" बार बार बच ग…
                                    ै
               सबक7 अपनी भूिमका ह                               तो #फर तैयार हो गई
                                                                                                े
               आदमी क7 अपनी                                     अपनी भूख क *ित और Gयादा सचत
                                                                            े
               और बुराई क7 अपनी
               कांतर समय म                                      पाठशालाओं ने नह"ं गढ़ा इनका नसीब
                             5
                                      5
                                         े
               खंजर  था उसक7 सोच म थ शbद                        इ2होन5 खुद हांिसल #कए
                                                                        े
               उसे उजागर करते हुए #क दखो                        9जंदगी क  सबक
                                        े
               हर काल म5 मेरा ह" अ9
तFव बना रहा                 गाँव से पलायन कर
                                                                और महानगर म5 *वेश
               जब#क रोपा गया था मनु;यता को                      संकUप म5 बंधी रह"ं मु9žठयां
                                 5
                        े
               अSछाई क अहाते म                                  धरती, भूख और qयास को
                                                                कभी खुद से अलग नह"ं #कया
               टाट प9žटया "
                               ँ
                                                                ये टाट प9žटयाँ

                                                                        5
                                                                ज_र लड़गी
               ये टाट प9žटयाँ खुले आसमान म
                                             5
                                                                िश ा, रोजगार और अपनी जमीन क िलए
                                                                                                े
                                            े
                                                ै
               उड़न तƒत8रय- को सुदूर जाते दखा ह
                                                                ,य- #क ये साधारण
               धरती से हाथ #हलाते हुए
                                                                टाट प9žटयाँ नह"ं ह
                                                                                 Q


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                      े
               उ2ह"ं क नीच
               #क  ?बछl रह"ं                                    कोUहू का बैल "
               कट" - फट"
                  े
                       े
                                                                                          ै
                                                                        े
                              े
                                                                       े
                          े
               बड़ - बड़ छद स                                     मुँह अंधर से चकई  चलती ह
               आर  - पार होती थीं                               ?पसती ह
                                                                        Q
                        ँ
               सब ऋतुए
                                                                चूर - चूर कर अपना वजूद
                           5
                                                                               Q
               अधूर" #कताब                                      िसर पर उठाती ह  पृgवी
               #क िच2दा  - िच2दा कापी                           अंधर से गुजरते हुए
                                                                   े
                                                                    े
                                   ै
               थाली म5 रखी रहतीं ह हर #दन
                                        ं
                 ु
               कपोषण क7 तमाम योजनाए                             कहाँ  -कहाँ
               मई – जुलाई                             92                                                                   लोक ह
ता र
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