Page 88 - lokhastakshar
P. 88
े
ं
माच 1916 को इuलQड म5 हुआसाजÉट क _प म5 . शांित न अपना भरपूर बड़qपन तुमको #दखाया
े
े
ै
काय रत जॉन सोममे क युO म5 घायल हुए और ह
े
े
उसक बाद लापता हो गए दस मह"ने बाद .1 मई सवेर क7 ढलती धूप
े
1917 को उनक7 मृत दह *ा हुई उस समय अपरो बनी तु6हार" पdेदार पोशाक
-
उनक7 उ 31 वष थी मृFयोपरांत उनका का{य . पेड़- से र#हत तु6हार" जगह पर
संह *कािशत हुआ. शाम
एक सैिनक का समािध
थल - अÀुत खूबसूरती से नहाती ह
ै
े
े
े
उस लंबी और अकली खाई क रा
तपीछ े -
जहां लोग- का आनाजाना ह ै -,
Q
जहां बहादुर इसान शह"द होते ह, बसंत ने कभी पहले यहां
ं
ै
ू
अभी तक एक अगोचर और अल9 त तीथ
थल अपने फल- का िच<पट बुना ह
ै
ह, बसंती गुलाब क7 खुबू,
े
एक खं#डत भूखंड, एक सैिनक का समािध
थल - गुमराह पीले फलवालेपौध
ू
ै
लेटा ह जहां एक युवा फल, bलूबेUल और जंगली गुलाब
ू
वह इसान 9जसे नफरत क7 चीज़ बनाया गया 9जनक7 खूबसूरती
ं
े
जब मुरझा गई थी आज़ाद" ( तभी वह मृत ह Q ) 9खल9खलाती गिम य- क समय को
े
ै
घेर म5 लपेट लेती ह
ू
सभी जगह शह"द- क7 क- को फल?वह"न और
साफ कर #दया गया यहां *ेमी गहरातीसंrया म 5 -
े
Q
े
ु
े
Q
अभी भी सभी तोपखान- क गोले िचUला रह ह चुरा लेते ह कछ अनदखा,
जब युO इस एकांत गुमनामजगह को बंद कर - उनक #दलभीतर ऊची लहर -,
ं
े
े
दगा आँख- म5 *ेम,
े
कई तीथ
थल खFम हो जाएंग और बयां करती एक ऐसी कहानी
ू
ै
और फल इस बंजर भूखंड म5 रौनक फलाएंगे और 9जसका जादू कभी नह"ं घटता
े
े
कई साल- बाद उनपर *िस?O उतरगी कवल वे ह" लोग
े
ै
ले#कन सभी साद )ॉस पर कई दय 9ज2ह-ने #कया ह *ेम
उनको खो दने क7
मृित म करते ह पूण तया ?वZास
Q
5
े
े
5
दुःख को टांग दग
े
Q
मैgयू कॉqस अब तु6हार बीच चीरते ह वे पेड़
एक वÁत तुम खु#फया _प से कर"ब थ, बम क7 गोली का ?वशाल धमाका होता ह
ै
े
5
अब लगभग अनावृत हो भूिमगत खदान
Q
तु6ह गहर म5 ?वभा9जत करती ह
5
े
मई – जुलाई 88 लोक ह
ता र