Page 84 - lokhastakshar
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ग़ज़ल

                                                                  9ज
म  क साथ  तम2ना  भी  गई  हसरत भी
                                                                          े
                              े
                                                       े
               ब
ती  नह"ं   दखी   कभी  सहरा  नह"ं  दखा
                                                                                                           ै
                                                                                        ै
                                                                  अब यहां  कोई  मक7ं  ह  न  मकां  बाक़7 ह
                                                       े
               िनकल  ह  तो  द"वार  का  साया  नह"ं  दखा
                     े
                        Q
                                                                                                   ै
                                                                               े
                                                                         े
                                                                  अब मुझ पहल सी िनसबत भी नह"ं ह तुझस
                                                                                                          े
                            े
                                                  5
                               ै
               एक अƒक  प  हरां  न  हो आँख-  म  हमार"
                                                                                                          ै
                                                                         े
                                                                                  े
                                                                  अब तुझ  मुझ स मुहbबत भी  कहां बाक़7 ह
                    े
                                                     े
               तुमन  अभी  ठहरा  हुआ  द8रया नह"ं  दखा
                                                                  भर गया ज़Æम ग़नीमत ह #क 9ज़ंदा हूं अभी
                                                                                         ै
                                              े
                                                      े
               शायद #क वो लौट आया समंदर क सफ़र स
                                                                                                            ै
                                                                  #दल प अब तक भी मगर उसका िनशां बाक़7 ह
                                                      े
                    े
               पहल  कभी  इतना  उस  qयासा  नह"ं  दखा
                                      े
                                                                                         े
                                                                  घर का आंगन भी बंटा खत भी त,सीम हुए
                                               े
               पFथर भी अगर  मोम न हो  जाय तो कहना
                                                                                                            ै
                                                                                  5
                                                                  पर जो  #ह
स- म  बंट पाई  वो मां  बाक़7  ह
                    े
                                                     े
               तुमन िमर  सजद-  का  सलीक़ा  नह"ं  दखा
                        े

               मुम#कन ह मQ अब खुद को भी पहचान न पाऊ
                         ै
                                                        ँ
                                                                                                ज - अFयाचार
                                            े
                                         5
                                                        े
                              े
               एक   उ‚   स  आईन  म  चहरा  नह"ं  दखा
                                     े
                                                                                                     ं
                                                                                                 9खजा - पतझड़
                                                 े
                                    े
                       े
               मQ सर प कफ़न बाँध क 9जस #दन स चला हूँ
                                                                                                िनसबत – संबंध
                                                        े
                                       े
                      े
               तब  स  िमर"  कƒती  न  #कनारा  नह"ं  दखा

                      े
               जुगनू क  चमकन स  भी  डरत  ह यहाँ लोग
                                                Q
                                             े
                                े
                                  े
                                                                                    ग़ज़ल
                                                       े
                            े
                                      े
               इस  शहर  न  मु•त  स  उजाला  नह"ं  दखा
                                                                                े
                                                                                        े
                                              े
               तुम भीड़ का मक़ज़ तो बन #फरत हो ले#कन                 दर ब दर  हो क दर  स टूट गया

                                        े
                                                                                        े
                                                                             े
                                        5
                                                     े
               तुम सा भी "नफ़स" शहर म तनहा नह"ं दखा                मQ  तो  जैस  सफ़र  स  टूट गया
                                                                                               ँ
                                                                  ढल  गई  शाम  अब कहां  जाऊ

                                                                                       े
                                                         5

                                                मक़ज़ = कL          जो तअUलुक था घर स टूट गया
                                                                   ु
                                                                                ै
                                                                  कछ खबर भी ह इन हवाओं को

                                                                                       े
                                 ग़ज़ल                              ज़द  पdा   शजर   स  टूट  गया
                                                                  कोई हद भी  तो हो  ?बखरन क7
                                                                                            े
                                                          ै
                                           ै
               अब न मQ हूं न  िमरा  ग़म  ह न जां  बाक़7 ह
                                                                         े
                                                                                       े
                                                                  Æवाब दखा  तो डर  स  टूट गया
                                                         ै
               9ज़2दगी ! बस  ितर  होन  का गुमां  बाक़7 ह
                                       े
                                 े
                                                                  तुमन  नाहक  उठा  िलए  पFथर
                                                                      े
                                                 े
                                                      े
               इतना खुश भी न हो ऐ मुझको जलान वाल
                                                                                       े
                                                                  आइना  तो   नजर  स  टूट  गया
                 े
                                                      ै
               दख जल कर भी अभी मुझम धुआं बाक़7 ह
                                         5
                                                                                                ै
                                                                         े
                                                                  अहद य  था #क  साथ  चलना ह
               मेर" मु9ƒकल #क मQ खुद अपनी जुबां काट चुका
                                                                                        े
                                                                  #फर  बशर  ह"  बशर स टूट गया
               उसको य डर #क  अभी  मेरा  बयां  बाक़7 ह
                                                        ै
                       े

                                       े
                 ु
                                                 Q
               कछ तो इस बार  बहार- न भी ढाए ह िसतम

                                                                                                    ज़द - पीला
                       े
               उस प य ज क7  मौसम  म 9खजां बाक़7 ह
                                          5
                                                        ै
                                                                                                 अहद – संकUप
               मई – जुलाई                             84                                                                   लोक ह
ता र
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