Page 79 - lokhastakshar
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मQ rयान से डायमंड क7 ओर दखती। हो जाऊ। हसती हूं मQ। उसक7 इस हालत पर।
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लगता था जैस सा#हर खड़ा हो मेर सामने। #कतना सा#हर द ेट। जो िलखत हो कभी जी कर तो
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िमलता ह डायमंड सा#हर से। वह" श,ल सूरत। दखो। पर अपने ह" िलख शbद- का अथ दना कोई
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वह" आदत5। बोलचाल का भी वह" अंदाज। मामूली बात तो नह"ं होती। औरत क7
वतं<ता क7
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..... और भी बहुत सी बात5। ऐमी जैसा तो बात5 करने वाले का जहन खुद #कतना गुलाम ह।
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ह ह" नह"ं डायमंड, सब स qयार" मुझ उसक7 कह" च#कत रह जाती हूं मQ।
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वह बात लगी थी....... “पगली ! च#कत मत हो। इसी को जो
“ममां ! आई वांट टू बीकम ए पोइट। 9जंदगी कहते ह। तू ह" बता..... कौन ह यहां जो
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मQने कसकर गले से लगा िलया था भीतर बाहर से एक हो। तू कौन सी एकसुर ह।
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उसको। #कतनी खुशी क साथ बताई थी मQने यह जरा अपने ह" अ2दर नजर डालकर दख।
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बात सा#हर को। अचानक कह"ं से क?वता बोल उठती ह।
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“अपना डायमंड मेर जैसा ह" बनेगा। अपने भीतर सैकड़- बार दख चुक7 हूं मQ।
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बाकमाल शायर। वह तेरा और मेरा बेटा ह। ऐमी कहां हूं मQ एक सुर न भीतर से न बाहर से। बाहर
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का नह"ं। से दुिनया क िलए *ोफसर रावी हूं और मेर भीतर
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#कतना खुश हुआ था सा#हर कवारा बाप बैठl ह क?वता। सा#हर क7 क?वता। क?वता क7
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बनकर। हमेशा डायमंड को बहुत कछ बनने बात तरह ह" मेर भीतर सब कछ संवरा तराशा हुआ
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करता था। मुझ पी कहने लगा, पित क7 भांित चाहता ह सा#हर। कछ भी अिधक और कछ भी
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ह" स6पित समझता था मुझ। यह गलत ह। ऐसा कम नह"ं।
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नह"ं करना चा#हए। वैसा ,य- #कया ?
टाफ _म म5 बैठकर प8रधान- क7 बा कर
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मुझसे और अिधक सहन नह"ं था हो पा लेना.....अrयापक- क7 लSछदार मसालेदार बात5 सु
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रहा। लना ह" 9जंदगी नह"ं। और बहुत कछ ह करने क
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“Gयादा सयाने इ2सान को qयार करना भी िलए। आम लोग- क7 तरह सोचना छोड़ द। तू
घाट का सौदा। सा#हर क7 क?वता ह। ......
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एक #दन मज़ाक-मज़ाक म5 ह" कहा गया पर ,या पता सा#हर को आम लोग तो
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था मुझसे। आग बबूला हो गया था उसका चहरा। आम सा ह" जीते ह। सा#हर मुझ आम से खास
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“बेवकफ- क7 तरह ऐर-गैर क साथ बनाने म5 लगा रहा था #फर ब2द" बनाने म, मुझे
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बकवास करते रहना भी कौन सी समझदार" ह यह पता नह"ं चला था कभी।
भला ?कोई तेरा Ôफसबु#कयाÕ। कोई तेरा Ôअलाप वह हर बात अपने अनुसार ढूंढता ह।
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ुपÕ का साथी। कोई तुझ जानता ह। #कसी को तू लोग- से हटक 9ज़2दगी जीने क दावे करन
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जानती ह। मQ तेर" तरह 8रतेदा8रयां नह"ं गांठता वाला, नई 9ज़2दगी शु_ करने जा रहा ह। #कतना
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#फरता, तेर" ये सांझ तुझ मुबारक। खुश ह सा#हर।
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#कतना अिधकार जताता ह बेचारा मुझ पर। जो वो मगर मQ......?
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कह वह" क_। जहां कह बैठ जाऊ। जब कह खड़" मालूम नह"ं ,य- सह नह"ं पा रह" हूं मQ।
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मई – जुलाई 79 लोक ह
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