Page 76 - lokhastakshar
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               पता  नह"ं  ऐसा  ,या  कह  #दया  था  ?ववक  ने  #क         सा#हर खामोश हो गया। #फर बड़" ग6भीर
               सा#हर.....।                                      आवाज म5 बोला।
                                                        े
                                                            े
                       “ऐसा  सोचा  मत  करो  पगली।  आपक  बार            “रावी सा#हर सचमुच ह" qयार करने लगा
                                                      े
                                                                      5

                                   ै
                                                                 ै
               म5 कोई ,या कहता ह उसक7 पीठ क पीछ इसक7            ह तु6ह।
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               परवाह  नह"ं  करनी  चा#हए।  िच2तामु^  रहने  का           मQ हस पड़" थी उसक7 बात सुनकर।
                                                                           ं
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               बस यह" एक फामू ला ह।                                    “अSछा  जी  !  कहते  ह"  qयार  हो  गया
                                     ै
                       #कतनी बेहया ह वो, हर चीज म5 से लुFफ      जनाब को।

               लेने को लाइफ का फ—डा बताती ह वह।                        मQने  इस  बात  को  मज़ाक  समझ  िलया।
                                              ै
                                                                 ं
                       पर सा#हर....।                            हस #दया और भूल गई। पर भीतर हलचल सी हो
                       उसक तो फ—ड ह" अलग ह। वह इस सब            गई थी जैसे। सा#हर कई #दन तक एक ह" बात प
                                               Q
                                                                                                             े
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               को  9ज़2दगी  को  जीना  नह"ं  9ज़2दगी  को  भोगना    जम गया था। मुझ मनाता। समझाता। दलील5 दता
               बताता ह। पर सा#हर तो सा#हर ह। हजार- लाख-         रहता।
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                                               ै
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               द"वाने  ह  उसक।  उसक7  क?वता  क।  9जनम5  स              “हमार" आयु म5 अ2तर ह सा#हर। तु6ह डर
                             े
                        Q
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               कभी  मQ  भी  एक  थी।  इसीिलए  तो  भागी  गई  थी   नह"ं लगता ?”
               रजना क घर। इसीिलए तो पहली मुलाकात क बाद                 “qयार उ‚ नह"ं दखता।
                                                        े
                                                                                       े
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               फोन #कया था मQने सा#हर को। नंबर डायल करत                वह दलील दता।
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               व^ धड़कन तेज हो गई थी मेर"। और सा#हर क7                  “मQ  पूर"  क7  पूर"  तेर"  नह"ं  हो  सकती।
               मीठl आवाज ने जैसे मुझे बस म5 कर िलया था।         ,य-#क मQ प†ी हूं #कसी क7।
               बहती पवन भी eक गई थी जैसे।                              “मुझे  _ह  का  साथ  चा#हए  9ज
म-  क7
                                                    े
                       ..... और उस रात को सा#हर क साथ ह"        त?पश नह"ं।

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               ई  बात-  को  मQ  बार-बार  दोहराती  रह"  थी।  #फर        वह तक दता।
                                                         े
                                                                                       े
               *ित#दन  ऐसे  ह"  बात5  होन  लगीं।  हम  बढ़  रह  थे       “....... लो #फर द #दया तु6हारा साथ। पर
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                                              े
               एक-दूसर क7 तरफ। तेज कदम- स। अचानक पहुंच          अब इGजत रखना इस 8रƒते क7।
                       े
               गई थी उस ?ब2दु पर 9जस पर पैर #टकाने से भी               आ9खर" 
वीकार कर िलया था मQने सा#हर
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                                                                        े
               डरती  ह"  थी  मQ  सार"  उ‚।  मेर  सामन  #डपल,    को। उसक qयार को।
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               र6मी  और  राजबीर  जैस  #कतनी  ह"  नाम थ।  जो            पर  सोच  का  तूफान  हर  पल  #दमाग  म
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                                                        े
               कभी,  #कसी  व^  हावी  होना  चाहते  थ  मेर  पूर   उठता रहता। #कतने ह" *s {याकल करते रहते थे
                                                                                              ु
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                                                            े
               वजूद पर। पर हमेशा खा8रज कर दती थी मQ ऐसी         मुझ।  लगता  ह  जैसे  कोई  पाप  कर  रह"  थी  मQ।
                                                                              ै
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               सोच को। पर सा#हर क सम  कछ भी नह"ं कर             #कतना कछ था जो मेर #दमाग म उलझा रहता।
                                                                                                5
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               पाई थी मQ।                                       इसी उलझने म5 उलझी हुई मQ क?वता कब बन गई
                                 ै
                       “मुझे  डर  ह  #क  कह"ं  सा#हर  qयार  ह"  न   थी मुझे खुद को भी आभास तक नह"ं हुआ था।
                                                                                                  े
                                 े
               करने लग जाए मुझ।                                        “ना तू िमिसज ऐमी। ना *ोफसर रावी। तू

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                       एक #दन मज़ाक-मज़ाक म कहा था मQने।          तो क?वता ह मेर"। क?वता आFमा म बसी हुई ह
                                                                                                             ै
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               मई – जुलाई                             76                                                                   लोक ह
ता र
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