Page 77 - lokhastakshar
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मेर। ..... और क?वता क7 भांित ह" तु6हार" मQ समझती हूं यह बात हरान नह"ं परशान
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मुहbबत। तू सा#हर क7 ह। िसफ मेर" और मेर"। करती ह उसे। बचार का रग लाल हो जाता ह
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सा#हर हमेशा क?वता क नाम से पुकारता ?ववेक का नमा सुनते ह"। कभी-कभी तरस भी
था मुझ। मQ क?वता क नाम से जीती रह"। पर आने लगता ह मुझ। सोचती हूं बहुत qयार करता
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अब......। उसी क?वता स भयभीत हूं मQ। खीझ ह मुझ। इसीिलए अिधकार जताता ह मुझे पर। पर
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रह" हूं मQ। पता नह"ं ,य-। बहुत कछ ह 9जसका कभी-कभी लगता ह #क अिधकार नह"ं यह तो
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उdर न मेर पास ह और न ह" क?वता क पास। कbजा ह। सभी मद एक स ह" तो होते ह....। जब
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बSच- क7 तरह रोने लगता हूं मQ, बैठl-बैठl। ?बना म5 डालकर रखना चाहते ह औरत को। तब कभी
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#कसी बात क। कभी-कभी हसने लगती हूं। ?बना मदo क7 बात #फतरत क बार म5 सा#हर को कछ
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वजह। ऊची-ऊची। पागलत- क7 तरह। ह न अजीब कहती हूं तो तड़प उठता ह वह।
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सी हालत। पता नह"ं कसी गांठ ह मेर भीतर जो “सभी मद..... मतलब तुम #कतने मदo को
खुलती नह"ं। जानती हो ?”
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कभी ऐसी ह" प8र9
थितय- म5 ?ववेक क बड़ा ती ण वार करता ह वह।
साथ िम<ता क7 थी मQने। मQ बहुत उदास थी उन “सा#हर द ट ! मेरा तो दो जन- से ह"
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#दन-। सोचती थी #क मर जाऊगी मQ एकांत म5 डर वा
ता पड़ा ह। तू और ऐमी। इसी अनुभव म5 स
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जाती। बेजान व
तुएं तोड़ दती। कॉलज म समर बताया ह मQने तो।
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वैकशन चल रह" थी। मQ सारा #दन उदास अ2दर मेर" बात सुनने क पzात बड़ा मासुम सा
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पड़" रहती। #कतना बड़ा कारण था इस उदासी का। चहरा बन जाएगा उसका।
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मेर एकमा< भाई क7 मृFयु। मQ #हल गई थी जैसे। “तू ह ह" इतनी खुबसूरत। मुझ भय ह।
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मुझ {य
त करन क िलए ऐमी लैपटाप ले आए। अगर कोई तुझ वश म करक ल गया। मQ कहां
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मQ उकसे साथ मन परचान क7 कोिशश करती। .... जाऊगा।
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और #फर #कसी सोशल नेटवर#कग साइट पर बहुत झूठा सा मु
करा लती हूं मQ, उसक7 इस
से िम< बना िलए। उनक साथ बात5 करत हुए मQ बात पर। पर मन ह" मन कहती हूं #क भय तो
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सब कछ भुलाने क7 कोिशश करती। इसी तरह एक कोई और ह तेर अ2दर। जो अपन पित को धोखा
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#दन ड िल
ट म5 ?ववक को ऐड कर िलया। सारा दकर तुझ qयार कर रह" ह वह तेर *ित भी
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#दन हम चै#टग करते रह। बहुत हसाया करता था वफादार ह या नह"ं। इस बात का ?वZास नह" ह
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?ववेक मुझ। िमले नह"ं मQ और ?ववेक कभी भी। तु6ह।
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बस बात5 क7 ह। फोन पर या #फर नैट पर। ..... कांप तो मQ भी जाती हूं। कभी-कभी। य
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और सा#हर को यह" बात अचंिभत करती ह। ..... सब सोचकर। ,य- कर रह" हूं मQ य सब। मां हूं मQ
वह कहता ह #क 9जसको जानती तक नह"ं उसक #कसी क7। पी हूं मQ #कसी क7। यह धोखा नह"ं
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साथ नजद"#कयां बनाए बैठl हो। बहुत लोग बैठे ह तो और ,या ह?
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इन साईटस पर। सोशल क नाम पर ÔÕशोषणÕ और #फर उसी पल..... अचानक क?वता बोलन
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चै#टगÕ क नाम पर Ôची#टगÕ करने वाले। लगती ह मेर भीतर से।
मई – जुलाई 77 लोक ह
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