Page 81 - lokhastakshar
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नीना सहर
बी.कॉम एम ् ए अंेजी
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लेखन : क?वताए और ग़ज़ल
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दश क7 सभी *ित?xत प< प?<काओं म *कािशत
*काशनाधीन सामी : पु
तक (ग़ज़ल)
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आज दश क तमाम बड़ मुशायर- म िशरकत
दूरदश न उदू अकादमी ,र ता, जs ए अदब, तहजीब, आड़" पर *सा8रत।
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र ा मं<ालय क सभी सा#ह9Fयक गित?विधयाँ का जeर" नाम
ग़ज़ल ग़ज़ल
कभी राँझा कभी मजनूं कभी फरहाद का मौसम रोई कभी, हसी कभी, मु
काई 9ज़2दगी
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हज़ार- रग जीता ह #दल ए बबा द का मौसम हमको तो हर िमज़ाज म ह" भायी 9ज़2दगी
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नह"ं ह हसरत- क7 रोशनी भी अब िनगाह- म इक अजनबी क साथ इक अनजान शहर म
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खुदा जान कहाँ तक ह #दल ए नाशाद का मौसम ता उ ठहरन क िलए लाई 9ज़2दगी
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ग़म- क7 स#दय- म भी सुक क7 धूप 9खलती ह वो मेरा हम िमज़ाज न था हम ज़बां न था
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हमार साथ रहता ह तु6हार" याद का मौसम वो 9जसक साथ उ गुज़ार आई 9ज़2दगी
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बुलाता ह वो सूरज साथ हमन जो उगाया था मं9ज़ल भी एहतराम म उसक झुकाय सर
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वो संगम का #कनारा, वो इलाहाबाद का मौसम र
त क7 ठोकर- म 9जसन पायी 9ज़2दगी
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असीर" क7 ग़ुज़ा8रश क7 तो उसन कर #दया आज़ाद बे#फ) हो क सो नह" जाना तू ऐ बशर
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हमार आंसुओं म ह उसी सैÅयाद का मौसम लेती ह ज़ोर स बड़ अंगड़ाई 9ज़2दगी
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सज़ा इस स बड़" हो और ,या जुम ए मुहbबत क7
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दुिनया म जान #कतन समझदार ह मगर
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#कसी क साथ जीना हो, उसी क बाद का मौसम
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#कसक7 समझ म आई मेर भाई 9ज़2दगी
मई – जुलाई 81 लोक ह
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