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नीना सहर


                                                                                        बी.कॉम  एम ्  ए अंेजी
                                                                                                             5
                                                                                                   ँ
                                                                                    लेखन : क?वताए और ग़ज़ल
                                                                   े
                                                                                                     5
                                                                  दश क7 सभी *ित?xत प< प?<काओं म *कािशत
                                                                          *काशनाधीन  सामी : पु
तक (ग़ज़ल)
                                                                            े
                                                                                           े
                                                                                                     5
                                                                                े
                                                                      आज दश क तमाम बड़ मुशायर- म िशरकत
                                            दूरदश न उदू  अकादमी ,र ता, जs ए  अदब, तहजीब, आड़" पर *सा8रत।
                                                                 े
                                                                    े
                                                       र ा मं<ालय क सभी सा#ह9Fयक गित?विधयाँ का जeर" नाम

                                   ग़ज़ल                                             ग़ज़ल

               कभी राँझा कभी मजनूं कभी फरहाद का मौसम            रोई कभी, हसी कभी, मु
काई 9ज़2दगी
                                                                          ँ
                                ै
                       ं
               हज़ार- रग जीता ह #दल ए बबा द का मौसम              हमको तो हर िमज़ाज  म ह" भायी 9ज़2दगी
                                                                                      5

               नह"ं ह हसरत- क7 रोशनी भी अब िनगाह- म             इक अजनबी क साथ इक अनजान शहर म
                     ै
                                                       5
                                                                                                      5
                                                                             े
               खुदा जान कहाँ तक ह #दल ए नाशाद का मौसम           ता उ‚ ठहरन क िलए लाई 9ज़2दगी
                        े
                                   ै
                                                                              े
                                                                            े

                                                        ै
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                                       ूं

               ग़म- क7 स#दय- म भी सुक क7 धूप 9खलती ह             वो मेरा हम िमज़ाज न था हम ज़बां न था
                    े
                                ै
               हमार साथ रहता ह तु6हार" याद का मौसम              वो 9जसक साथ उ‚ गुज़ार आई 9ज़2दगी
                                                                        े

                                          े
                       ै
               बुलाता ह वो सूरज साथ हमन जो उगाया था             मं9ज़ल भी एहतराम म उसक झुकाय सर
                                                                                                े
                                                                                         े
                                                                                   5
               वो संगम का #कनारा, वो इलाहाबाद का मौसम           र
त क7 ठोकर- म 9जसन पायी 9ज़2दगी
                                                                   े
                                                                                5
                                                                                      े

               असीर" क7 ग़ुज़ा8रश क7 तो उसन कर #दया आज़ाद          बे#फ) हो क सो नह" जाना तू ऐ बशर
                                             े
                                                                          े
                    े
                              5
                                ै
               हमार आंसुओं म ह उसी सैÅयाद का मौसम               लेती ह ज़ोर स बड़ अंगड़ाई 9ज़2दगी
                                                                     ै
                                                                             े
                                                                                े

               सज़ा इस स बड़" हो और ,या जुम  ए मुहbबत क7
                          े
                                                                                              Q
                                                                दुिनया म जान #कतन समझदार ह मगर
                                                                                   े
                                                                             े
                                                                        5
                                             े
               #कसी क साथ जीना हो,  उसी क बाद का मौसम
                      े
                                                                                       े
                                                                               5
                                                                #कसक7 समझ म आई मेर भाई 9ज़2दगी
               मई – जुलाई                             81                                                                   लोक ह
ता र
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