Page 85 - lokhastakshar
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ग़ज़ल
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तुझ स न िशकायत ह न िशकव भी िमर ह
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आवाज़ तो मेर" ह य लहज भी िमर ह
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ग#दशज़दा हालात तो वैस भी िमर ह
गैर- स नह" अपन- स हारा हूं मQ बाज़ी
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आंख- म िलए #फरता हूं सहराई का मंज़र
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ह eख़ भी िमरा और ?पयाद भी िमर ह
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पलक- प मगर आब क क़तर भी िमर ह
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रहत ह कई लोग मेर 9ज
म क अंदर
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वो शÆस भी मQ ह" था पस- आइना पहल
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इस भीड़ म शािमल कई चहर भी मेर ह
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य अ,स क ?बखर हुए टुकड़ भी िमर ह
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तू दख #क उस ख़ून का इUज़ाम ह मुझ पर
ग#दशज़दा – कालच) का मारा
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द"वार प 9जस ख़ून क छlंट भी िमर ह
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सहराई – वीरानी
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?बकना भी मुझी को ह ख़र"दार भी मQ हूं
आब – पानी
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और उसप िसतम ह #क य िस,क भी िमर ह
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मकक – आशका
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मशकक हूं मQ खुद भी यहां हूं #क नह"ं हूं eख़ – शतरज का एक मोहरा
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मई – जुलाई 85 लोक ह
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