Page 89 - lokhastakshar
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और यहां लोग मौत और आतंक क चलत उस #दन का सपना जब बहुत स
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िछपते ह सSचाई और आज़ाद" क फल
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िछपते ह तु6हार" गुफाओं म5 छरo क घातक उन महान शह"द युवाओं क लहू से 9खल5गे तब
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बौछार- क कारण इसानी Fयाग से *ेम क फल ह-गे अंक8रत
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अब तु6हार मrय खंडहरक उजाड़ ह Q / इस *कार िगर ह जहां युवा, जहां नायक मृत ह
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पy तौर पर वसंत म हरक साद सलीब क कर"ब फल- पर बसंत आएगा
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और कई जगह पर शाZत नीले फॉरगेटनॉट - मी - दाइय- क बSच वसंत म5 इधरउधर घूम5ग -
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क फल- क वादहालां#क कछ दर" क साथ क - और *ेमी दखग वे सपन
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सपन- म5 दरार आ रह" ह वे सपने जो कभी नह"ं करत
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तो *कित य क बीच पनपती ह, - ?व?पन चौधर"
भाuय क7 *ितरोधी सं*ित
वतं< लेखन
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जो उसे कमतर दशा ती ह 1008, हाउिसंग बोड कॉलोनी, से,टर 15 ए,
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इसिलए ख़ुशी स अिभभूत मनु;य #हसार ह8रयाणा
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घृणा से मृFयु को हतोFसाह करता ह मो. 98998-65514
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दखते ह सुंदर #दन क बढ़त जाने क सपन *कािशत कितया- अंधेर क मrय, एक बार #फर, नीली
आंख- म5 न <, जीवनी, रोज उ#दत होती हूं, अZेत
ले9खका, माया एन9जलो क7 जीवनी, अनुवाद, भूत- क7
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कहािनया, 9जंदा दफन (सरदार अजीत िसंह क7
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जीवनी), ?विभ2नत प<-प?<काओं म5 क?वताए व
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अनुवाद, संपादक – रत पथ प?<का, युOरत आम
आदमी, रमनीका गुा क7 आ#दवासी क?वताए
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पुर
कार : *ेरणा पुर
कार 2006, वीरागना सा?व<ी
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बाई फले पुर
कार, भारतीय दिलत सा#हFय अकादमी
#दUली
मई – जुलाई 89 लोक ह
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