Page 91 - lokhastakshar
P. 91

5
                                           5
               "अSछाई क अहात म"                                 वे सार" पु
तक
                             े
                                       े
                                                                9जनम5 दज़  ह अSछाई क फलसफ
                                                                            Q
                                                                                      े
                                                                                             े

                                                                बुराई क7 जय प8र9
थितय- पर, हालात- पर
                                         ै
               अSछाई अपना काय  करती ह पथर"ली राह
                                                     5
                                                                अSछाई नह"ं चीख़ पाती
                                                     Q
                                       5
               चलती हुई मौजूदा समय म *वेश करती ह
                                                                आवाज़ उठाते ह"

                                                                मुँह पर रख द" गई हथली
                                                                                     े
               एकदम त2हा
                                                                दूसर" तरफ #करदार पर दाग
                            5
                  े
               अकले या<ा म
                                                                
वाथ , लोलुपता,
               अंध आंिधयां  से जुझते हुए
                                                                                                      े
                                                                चापलूसी अंतः िलqय2तरण पर उतर आएंग
                                    5
                        Q
               भीगती  ह उसक7 शाख
                                                                बस, स#दय- तक आवाज़ को दवाना था
               पdा पdा गीला

                       ै
               कहता ह 'अ9uनपथ '
                                                                अSछाई कछ भी नजरअंदाज नह"ं करती
                                                                         ु
               वातावरण म5 जब#क ?वरोधाभास ह
                                              ै
                                                                उसे 9जंदा रहना था

                                                                अपने #करदार क साथ
                                                                              े
               टूट कर जब ?बखरती ह
                                    ै
                                                                यह" नह"ं समझ पाई बुराई
                     े
                          ै
               कौन दता ह सहारा
                                                                         ै
                                                                भटकती ह दर दर
               अSछाई को िमलती ह
                                  Q

                                   े
                          े
                                         े
               लार टपकात  भे#ड़ए क जबड़
                                                                      े
                                                                                        े
                                                                शक क घेर- म5 सबको समटते हुए
                 े
                    े
               दह क पार
                                                                अSछाई जैसे नगर िनगम क7 नगरवधू
                                   5
               तार तार करती िनगाह
                                                                हद थी कई कई
               द"वार पर लटकती
                                                                                 ुं
                                                                मानिसकता क7  कठाओं क7
                               ं
               झूठ5  शbद- क7 Xृखला
                                                                ?वकिसत स यताओं क7

                                                                *s िच¯ दागते हुए
                            ं
               बुराई अपना रग
                                                                                 5
                                                                       े
                                                                शू2य क आभास म
                        ै
               #दखाती ह
                                                                दुखाती अपनी नस
               न जाने #कतने छल

                              ै
                  े
               फरब से ठगती ह अSछाई को
                                                                   े
                                                                 ु
                                                                करदती कई कई सवाल

                                                                                         5
                                                                               े
                                                                अSछाई समाज क आईने म
               अSछाई का दमघ-ट दती ह
                                   े
                                       ै
                                                                िनव ~  थी एक
               और ईमानदार" से
                                                                             े
                                                                अ™ील-™ील क बीच
                             5
                                         Q
                                     े
               सा#हFय क7 जड़ #हला दती ह
                                                                महज }?y का फक

                       ै
               #हलता ह आदमी
                                                                                                5
                                                                                      े
                                                                #क अSछाई को समाज क आईने म
               और आदमी का वजूद
                                                                              Q
                                                                और ?पछड़ना ह
               मई – जुलाई                             91                                                                   लोक ह
ता र
   86   87   88   89   90   91   92   93   94   95   96