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ग़ज़ल


                                   ग़ज़ल                                 अब य जाना #क इक #कताब हूँ मQ
                                                                            े
                       जो था नज़र- स ओझल, उग रहा ह                      हफ़ दर हफ़ लाजवाब हूँ  मQ
                                                      ै

                                     े

                                                  ै
                         े
                                  5
                       मेर सपन- म जंगल उग रहा ह
                                                                            े
                                                                       आपन एतबार ह" न #कया
                                                Q
                               5
                       मेर" आंख सुनहर" हो चलीं ह                       मQ तो कहती रह" सराब हूँ मQ
                       कोई बीता हुआ पल उग रहा ह
                                                  ै
                                                                            े
                                                                       मुझस अपनी नमी न सूख सक7
                                                                                  Q
                                      े
                                             े
                                                ु
                                                     ै
                          े
                                                                                े
                       मुझ ,या इƒक़ न #फर स छआ ह                        आप कहत ह आफ़ताब हूँ मQ
                                                  ै
                       मेर" सांस- म संदल उग रहा ह
                                  5
                                                                           े
                                                                       हो क मौजूद भी नह" #दखता
                              े
                       त?पश न सोख ली नरमी ज़मीं क7                      वो अमावस का माहताब हूँ मQ
                                े
                                                   ै
                              े
                       फलक प दखो बादल उग रहा ह
                                                                                  े
                                                                           े
                                                                       उसस िमलत नह" उसूल 'सहर'
                            ै
                       जहां फली थी काली रात #दल म                      चाहती 9जसको बे#हसाब हूँ मQ
                                                   5
                                                    ै
                       वह"ं माह ए मुक6मल उग रहा ह                                                -  नीना सहर

                                                           -  स6*ित : र ा मं<ालय म अनुभाग अिधकार" #दUली
                                                                                      5























               मई – जुलाई                             82                                                                   लोक ह
ता र
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