Page 74 - lokhastakshar
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Q
                                                                                             ु
                                                                                           े
                       “रात को बा8रश हुई थी या नह"ं ?”                 “ये ह मैडम रावी। मेर कलीग। साइकलोजी
                                       ै
                                                                         े
                       वह  जब  पूछता  ह  तो  मQ  खीझ  जाती  हूं।   ट"च करत ह कॉलेज म5।
                                                                           Q
                                        ै
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               पता नह"ं वह ,य- पूछता ह ।                               सा#हर  मु
कराया।  उसक7  ककराहट  आंख-
                                                                                           े
                       शायद क?वता क7 तरह ह" *Fयेक बात म         तक फल गई लग रह" थी मुझ।
                                                                      ै
                                                            5
                                                                                                             े
               से लुFफ लेने क7 आदत हो उसक7। 9जतना गहरा                 “बहत  खूब।  #फर  तो  चहर  भी  पढ़  लेत
                                                                                              े
                                                                                                े
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                                                                                                             ै
               8रƒता  सा#हर  का  क?वता  क  साथ  ह,  उतना  ह"    ह-गे। साइकलोजी तो मेरा भी पसंद"दा सbजैकट ह
                                                                                                   े
               गहरा  8रƒता  ह  उसका  Ôक?वताÕ  क  साथ  भी।....   मेरा तो मन करता ह #क सामने खड़ हर {य?^
                                               े
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               और शायद उस Ôक?वताÕ का उस सा#हर क साथ             का मन फोल लूं। उसक7 आंख- म5 से उसक अ2दर
                                                                                                             े
               ह। बात तो एक ह" हुई। इस तरह स कह लो चाह          उतर जाऊ और #फर उसक7 *Fयेक सोच को अपन
                                                            े
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               उस तरह से। मुझे क?वता शbद क साथ िचढ़ ह।           काबू म5 कर लूं।

                                                                           े
                                      े
               खास कर उस Ôक?वताÕ क साथ जो सा#हर का दम                  मुझ लगा। सा#हर मेर" आंखो म5 दख रहा
                                                                                                       े
               भरती ह। मQ उस क?वता को मार दना चाहती हूँ।        था।
                      ै
                                                े
               पर2तु हर बार असफल होती हूं। उलटा खुद घायल               मQने  आंख  फर  लीं।  ?बलकल  उसी  तरह
                                                                                                ु
                                                                                5
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               हो  जाती  हूँ।  तड़पने  क  िलए  हमार"  पहली       जैसे अभी कर रह" हूं। यूं ह" नाकाम सी कोिशश।
                                                                                             ु
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               मुलाकात अ,सर मुझ याद आती ह।                      आंख मूंद भी कभी िछपता ह कछ। मQ सा#हर को
                                              ै
                                                                                          ै
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                       सा#हर  इस  शहर  म5  कोई  कॉ2ˆस  अटड      दूर जाता हुआ दखती हूं।  आंख- क आगे #कतना
               करने क िलए आया था उसक7 क?वताएं सुनने का          कछ बनन-?बखरने लगता ह।
                                                                                         ै
                                                                 ु
                                                                         े
                      े
               मौका  तो  गंवा  िलया  था  हाथ  से  पर  सा#हर  क         “रावी  हम5  #कसी  साइकट8रक  से  िमलना
                                                            े
                                                                                             ै
               साथ  मुलाकात  का  मौका  मQने  हाथ  से  नह"ं  जान   चा#हए।”
                                                            े
               #दया।  मेर"  कलीग  रजना  क  पित  का  िम<  ह             ऐसी तो #कतनी िच2ता हो गई थी मेर"।
                                          े
                                   ं
                                                            ै
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               सा#हर। सा#हर उसक घर रा?< भोज पर आया था।                 पर  वह  भी  तो  अब  पागल  समझ  रहा  ह
                                 े
                                                                                                             ै
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                ं
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                                                                                       े
               रजना  ने  मुझ  भी  शािमल  होने  क  िलए  कहा      मुझ।  पर  वो  ,या  जान।  उस  पल  मQ,  मQ  नह"ं
                                                                                        े
                                                                                     ै
               था.....  ओर  मQने  उसका  आमं<ण  
वीकार  कर       होती। क?वता बोलती ह मर अ2दर से। िमटा दना
                                                                                         े
                                                                                                           े
               िलया। अजीब सी खुशी थी सा#हर को िमलने मन          चहती हूं मQ उसे। पर खुद ह" हो जाती हूं चूर-चूर।
               म5।  बहुत  बड़"  फन  थी  मQ  उसक7।  उसक7  कई      शीशे क7 भांित। ?बलकल उसी #दन क7 तरह।
                                ै
                                                                                   ु
                                                 े
               क?वताएं मौ9खक _प से याद थीं मुझ।                        उस  #दन  पहली  बार  उन   ण-  से  गुजर"
                                                                                                  ु
                       .... और अब।                              थी मQ। पर अब मेर िलए जैसे सब कछ आम सा
                                                                                  े
                                                                                  े
                                      ै
                                                                         ै
                       नफरत हो गई ह जैसे Ôक?वताÕ शbद से।        हो गया ह। तब मुझ आदमकद शीशे म5 से क?वता
                                      ै
                                                                                        े
               #कतना बकवास लगता ह यह शbद। पर जानती हूं          #दख रह" थी। लगा था जैस िचढ़ा रह" हो मुझ।
                                                                                                         े
               यह  िचढ़  क?वता  क  साथ  नह"ं  उस  Ôक?वताÕ  क            “पगली लुFफ उठा। जो 9जतना तेर #ह
से
                                                                                                       े
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                                                                                                        े
                                                                     ै
               साथ ह जो मुहbबत करती ह सा#हर को। बेपनाह          का ह..... उतना ह" आन2द उठा ले उससे। दख....
                                          ै
                      ै
                                                                           े

               मुहbबत।                                          मेर" तरफ दख।
                        ं
                       रजना ने इ2Rो करवाई थी हमार"।
               मई – जुलाई                             74                                                                   लोक ह
ता र
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