Page 100 - lokhastakshar
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                                 े
               तब उनम5 से कोई दख                                  तानाशाह राजा क
                                                                                 े
                        ै
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               मेर" खपरल आंख                                      हवेली पर िगर जाए
                                ै
                       ं
               9जसम5 फसी पड़" ह भूख                                उसक7 छावं
                                े
               दो व^ क7 रोट" क िलए
                                                                  और सुबह सुबह
                  े
                            ं
               मेर हाथ- म5 फसी                                    जब वो जागे राजा
                          े
                े
               रखाएं भी दखना                                      तो
                                                                            े
                                े
                                                                                    5
                                                                                  े
                                                                                 े
               और उनपर डाल दना                                    उस छांव क अंधर म
               कोई ऐसा जल                                         #दख उसे वह" अंधकार
                                                                      े
                                                                                     े
               #क मरने बाद तो                                     जो उसक7 {यव
था स
                                                                           ै
                                                                    े
                       े
               पता चल                                             झल रह" ह उसक7 आवाम
                         े
                                   े
               ,या थी मर" नसीबी रखा
               9जसने शायद                                          ◆◆◆◆◆◆◆
                                                                  *साद- आवाज
               मेर" मजदूर" क #दन- म
                            े
                                     5
               कर ली थी आFमहFया
                                                                         क?वता
                                 े
               कोई जोर से फोड़ दना                                 जब पृgवी बंद कर द अपनी प8र)मा
                                                                                    े
               मेर" आँख                                           सूरज बदल द अपना सूय मंडल
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                                                                              े
                     े
                               े
               9जसक  वाब छोट होकर भी                              मंगल से गायब हो जाये सारा पानी
               पूर न हुए                                          या qलूटो जैस गायब हो बुध, शु) ओर शिन
                  े
                                                                              े
               मेर" टांग- को नहलाना                               सागर का सारा खारा जल
               गम  पानी स                                         घेर ले पृgवी क7 जमीन
                          े
                           े
               जो ?बना थक चलती रह"                                और पृgवी पर उग आय5
               जीवन से मृFयु तक अनवरत                             सार नमक क पेड़
                                                                             े
                                                                     े
               मेर" चीख- को नह"ं िमली कभी                         पंछl भाग खड़ ह- इस वीरान पृgवी स
                                                                              े
                                                                                                   े
               *ितसाद क7 साद                                      कौवे गा द इस सँहार का काला गीत
                                                                           5
                                     े
               जब गर"बी #क िमžट" स                                पहाड़ खुद को डबो ल5
                                                                                ू
                     े
               ढक दग5 मेर" लाश                                    #कसी ~ी क आसुँओं म
                                                                                       5
                                                                            े
                                                                  नहर पानी से Gयादा बहा रह" ह- र^
                                                                     े
               तब एक बढ़ा सा                                       बादल- पर जमा ह- हुकमत क पैगाम
                                                                                      ू
                                                                                            े
               पFथर लेना
               जो हो इतना बड़ा #क                                  बंदूक तनी ह- 
वाथ  क िलए
                                                                      5
                                                                                      े
               मई – जुलाई                             100                                                                   लोक ह
ता र
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