Page 105 - lokhastakshar
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दगो क बाद खत मे खरपतवार उगने लगी ह बापू
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बेबे कह रह" ह
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तुम #दन- म5 #कनार लगा दते थ
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पूर खत क7 खरपतवार
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दगो क बाद वाला आसमान
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पूछ रह" ह
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काला होता ह
#दUली म बहुत Gयादा उगी ह ,या खरपतवार?
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कािलख बहुत #दन तक िगरती रहती ह
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समाज क सर
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कह रह" ह
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9जतना व^ लग, लगाना
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खरपतवार #कनार लगा कर ह" लौटना
एक जली इमारत
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पीछ मQ बैठl हूँ
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दूसर" को दखती ह
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िचंता मत करना
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पूछती ह
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तु6ह ,य- जलाया
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बेब तेर" बहुत िचंता करती ह बापू
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जली इमारत eआंसी ह
ठंड" रात म
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बताती ह
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रात भर जागती ह
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मुUक िगराने वाले सोचत ह
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उठ-उठ कर भQस पर पUली डालती ह
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#क मुUक इमारत- से बनता ह
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और रोने लगती ह
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कहती ह
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बापू तुम कब लौटोग
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हमार ब2द ,या डगर- से भी गए गुजर ह
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बेबे पूछ रह" ह जो राजा उ2ह स6भालता नह"
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बापू तुम कब लौटोग
कह रह" ह
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इस पाल(सद)
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कड़" क7 कड़माई करनी थी
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आंख भी तो बनवानी थी तुमन - प2नीवाला मोटा, 9जला िसरसा
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दूर-नेड़ का कम जो #दखन लगा ह मो. 97960-19522
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बेबे कह रह" ह
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राज [राजा} को भी कहो
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आंख बनवा ल
मई – जुलाई 105 लोक ह
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